रूस में फंसे नेपाली युवकों ने एक वायरल वीडियो के माध्यम से अपनी समस्या बताई है। इसमें उन्होंने बताया कि उन्हें धोखे से रूसी आर्मी में भर्ती किया गया और फिर जंग लड़ने के लिए भेजा गया है।
वीडियो में युवकों ने भारत सरकार से वापस नेपाल पहुंचाने के लिए मदद मांगी है और बताया कि नेपाल सरकार की मदद संभावना नहीं होने के कारण वे अब भारत सरकार से सहायता की गुहार लगा रहे हैं।
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मिलिट्री यूनिफॉर्म पहने नेपाली युवकों ने एक वीडियो में खुद को बताते हुए कहा है कि उन्हें हेल्पर की नौकरी का आदान-प्रदान था, लेकिन रूस पहुंचते ही उन्हें आर्मी में भर्ती कर लिया गया और यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने के लिए भेजा गया। उन्होंने मॉस्को स्थित नेपाली एम्बेसी से मदद की गुहार लगाई, लेकिन मदद नहीं मिली।
इस संबंध में, भारत और नेपाल के बीच अच्छे संबंध को बताते हुए, उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि वह और उनके साथी युवकों को यहां से रेस्क्यू करें। उनके बताए गए अनुसार, तीन भारतीय युवक भी उनके साथ जंग लड़ रहे थे, लेकिन भारत सरकार ने उन्हें पहले ही रेस्क्यू कर लिया है। वह भारत की पावरफुल एम्बेसी की सराहना करते हुए उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें भी जल्दी रेस्क्यू किया जाए। इस समय, उनकी संख्या 30 से 5 तक घट चुकी है और उन्हें आपकी मदद की आवश्यकता है।
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दिसंबर में लड़ते हुए छह नेपाली युवकों की मौत
दिसंबर 2023 में, यूक्रेन के खिलाफ रूस की ओर से युद्ध में शामिल होने वाले छह नेपाली युवकों की मौत हो गई है। इस खबर के बाद, नेपाल सरकार ने रूस से यहां के नागरिकों के लिए उचित सुरक्षा और सुरक्षा निर्माण की मांग की है। कई नौजवान विभिन्न कारणों के लिए पैसे कमाने के लिए रूस में मौजूद हैं, लेकिन इसके साथ ही ये स्थिति उन्हें जीवन की ठोकर में डाल रही है। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, मॉस्को ने पिछले महीने जंग में मारे गए नेपाली युवकों के परिवारों को मुआवजा देने का इरादा जताया है, लेकिन इस घड़ी में 14 नेपाली युवकों की मौत हो चुकी है।
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देश छोड़कर पैसे के लिए जोखिम और यात्रा
पैसे कमाने की खातिर नेपाली नागरिक दूसरे देशों में जा रहे हैं, जैसा कि वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में उजागर हुआ है। यह खुद में एक बड़ी कठिनाई और जोखिम होता है, क्योंकि कई बार ये लोग अत्यधिक जोखिम वाले कामों में भी शामिल होते हैं। इस अनुसंधान के अनुसार, नेपाली नागरिकों द्वारा अन्य देशों में कमाए जाने वाले पैसा, नेपाल की GDP के करीब-करीब बराबर है।
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इसके अलावा, नेपाली गोरखा सैनिकों का एक बड़ा समूह भारत के अलावा ब्रिटिश आर्मी में भी सेवानिवृत्त है। यह परंपरा 1815 में शुरू हुई थी, जब ब्रिटिश शासन विस्तार के दौरान नेपाली गोरखा सैनिकों को ब्रिटिश आर्मी में शामिल करने का समझौता हुआ था। इसका परिणामस्वरूप, नेपाली गोरखा सैनिकों का योगदान आज भी ब्रिटिश आर्मी में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।
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