गुरुवार को जापान में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके बाद सुनामी का अलर्ट जारी कर दिया गया है। भूकंप का केंद्र क्युशू द्वीप के नीचे लगभग 8.8 किमी की गहराई में स्थित था। मियाजाकी, कोची, ओएटा, कागोशिमा और इहिमे शहरों में सुनामी चेतावनी जारी की गई है।इससे पहले, 1 जनवरी को जापान में 7.6 तीव्रता का एक भयंकर भूकंप आया था, जिसमें 318 लोग मारे गए थे और 1300 लोग घायल हुए थे। इशिकावा में इस भूकंप के कारण कई स्थानों पर आग लग गई थी और 200 इमारतें जल गई थीं।
मार्च 2011 में जापान में अब तक का सबसे विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें 16,000 लोगों की जान गई थी।
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कैसे तय होता है कि ये सुनामी है या नहीं
जापान के ‘सुनामी वॉर्निंग सिस्टम’ के मुताबिक- अगर भूकंप के बाद सुनामी की एडवाइजरी या अलर्ट जारी होता है और इसके बाद समंदर में 1 मीटर ऊंची लहरें उठती हैं तो इसे सुनामी कैटेगरी में रखा जाता है। इनकी ऊंचाई बाद में 3 से 5 मीटर हो सकती है। अगर 5 मीटर तक लहरें उठती हैं तो इसे ‘मेजर सुनामी’ कैटेगरी में रखा जाता है।
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जापान में ही ज्यादा सुनामी क्यों आती है
भूकंप के लिहाज से सबसे सेंसिटिव एरिया में है। यहां भूकंप आते रहते हैं, क्योंकि ये दो टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन के पास स्थित है। इशिकावा प्रांत, जहां भूकंप आया है, महासागर के चारों ओर भूकंपीय फॉल्ट लाइनों की एक घोड़े की नाल के आकार की श्रृंखला- रिंग ऑफ फायर, के करीब स्थित है।रिंग ऑफ फायर ऐसा इलाका है जहां कॉन्टिनेंटल प्लेट्स के साथ ओशियनिक टेक्टॉनिक प्लेट्स भी मौजूद हैं। ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है। इनके असर से ही सुनामी आती है और वोल्केनो भी फटते हैं।दुनिया के 90% भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर में आते हैं। यह क्षेत्र 40 हजार किलोमीटर में फैला है। दुनिया में जितने सक्रिय ज्वालामुखी हैं, उनमें से 75% इसी क्षेत्र में हैं।
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