शपथ ग्रहण के लगभग आठ घंटे बाद ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अमेरिका को अलग करने के अपने निर्णय के पीछे कई प्रमुख कारणों का उल्लेख किया. उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया कि उसने कोविड-19 महामारी का प्रबंधन करने में गंभीर गलतियां कीं, जिससे महामारी के प्रभाव को नियंत्रित करने में वैश्विक स्तर पर समस्याएं बढ़ीं. इसके अलावा, ट्रंप ने संगठन पर यह भी आरोप लगाया कि उसने तत्काल और अत्यंत आवश्यक सुधारों को लागू करने में विफलता दिखाई, जो महामारी जैसे संकटों से निपटने के लिए बेहद जरूरी थे। ट्रंप ने इन कमियों को डब्ल्यूएचओ की जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी का परिणाम बताया और इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका अब ऐसे किसी संगठन का हिस्सा नहीं रह सकता, जो अपने दायित्वों को ठीक से पूरा न करे.
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डब्ल्यूएचओ से अमेरिका की दूरी: ट्रंप का बड़ा कदम शपथ ग्रहण के तुरंत बाद
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अपने शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका के बाहर निकलने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए. कोरोना महामारी के वक्त ट्रंप इस संगठन पर काफी हमलावर थे. व्हाइट हाउस में आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के साथ डब्ल्यूएचओ पक्षपात कर रहा है. यहां चीन को तवज्जो दी जा रही है. उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हमें ठगा है.
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इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने बीती रात अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण की. इसके लिए आयोजित समारोह में दुनिया की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भी मौजूद थे। मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चैन, अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस और उनकी मंगेतर लॉरेन सांचेज, साथ ही गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और ट्रंप के सबसे करीबी सलाहकारों में से एक एलन मस्क भी समारोह में मौजूद थे. एपल के सीईओ टिम कुक और टिकटॉक के सीईओ शोउ जी च्यू भी समारोह में मौजूद थे.
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