प्रेस दिवस हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन देश में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की उपस्थिति का प्रतीक है। स्वतंत्र प्रेस को अक्सर बेजुबानों की आवाज कहा जाता है, जो शासन करने वाले और आम जनता के बीच की कड़ी है। प्रेस का काम किसी व्यवस्था की बुराइयों को सामने लाना और लोकतांत्रिक प्रणाली के मूल्यों को मजबूत करने की प्रक्रिया में सरकार को इनका समाधान खोजने में मदद करना है। इसे लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक कहा जाता है। विश्वभर में अब करीब 50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद है। भारत में प्रेस को ‘वॉचडॉग’ एवं प्रेस परिषद इंडिया को ‘मोरल वॉचडॉग’ कहा गया है।
प्रेस दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। साथ ही यह दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है। प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के मूल के अधिकार से सुनिश्चित होती है।
इस दिन प्रेस परिषद की हुई स्थापना
4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई। जिसने 16 नवंबर, 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू कर दिया। तब से हर साल 16 नवंबर को ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ मनाया जाता है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, परिषद की अध्यक्षता परंपरागत रूप से सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज और 28 अतिरिक्त सदस्य करते हैं। जिनमें से 20 भारत में संचालित मीडिया आउटलेट्स के सदस्य हैं। पांच सदस्यों को संसद के सदनों से नामित किया जाता है और बचे तीन सांस्कृतिक, कानूनी और साहित्यिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
More Stories
NEP Row Pradhan Urges Stalin to Rise Above Politics
Powerlifter Yashtika Acharya, 17, Dies in Training Accident
संभल हिंसा: 208 आरोपियों के खिलाफ 4175 पन्नों की चार्जशीट दाखिल