रूसी हमले के बाद यूक्रेन से भारत लौटे एमबीबीएस के विद्यार्थियों को सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप का मौका नहीं मिल रहा है। यही नहीं, इन छात्रों को दूसरे देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने की एनएमसी से अनुमति भी नहीं मिल रही है। ऐसी स्थिति में इन छात्रों को अपना कॅरियर बर्बाद होता नजर आ रहा है।
यूक्रेन से लौटे जिले के 100 से अधिक एमबीबीएस छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है। इन छात्रों को निजी से लेकर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप का मौका नहीं मिल रहा है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों से छात्रों को यह कहकर लौटा दिया जा रहा है कि इंटर्नशिप की अनुमित चिकित्सा शिक्षा विभाग से नहीं मिली है। छात्रों का कहना है कि बिना इंटर्नशिप के पढ़ाई ही बेकार हो जाएगी। वहीं, कई छात्रों का अभी फाइनल इयर का रिजल्ट भी नहीं घोषित हो पाया है। ऐसे में ये छात्र बेहद परेशान हैं।
एमबीबीएस के छात्र आकाश सिंह ने बताया कि यूक्रेन में जारी युद्ध को देखते हुए खारकीव मेडिकल यूनिवर्सिटी के मीडिया मैनेजमेंट ने जानकारी दी है कि यूरोप के चार देश पढ़ाई करवाने के लिए तैयार हैं। इन देशों में जर्जिया, रोमानिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान शामिल हैं। लेकिन, इन देशों में पढ़ाई के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की अनुमति नहीं मिल रही है। बिना अनुमति के अगर कोई पढ़ाई के लिए जाता है, तो उन देशों की डिग्री भारत में मान्य नहीं होगी। ऐसे में पूरी पढ़ाई ही बेकार साबित हो जाएगी। पैसे भी बर्बाद हो जाएंगे।
15 को आना है एनएमसी का फैसला
छात्र मनुशरण श्रीवास्तव ने बताया कि पढ़ाई के साथ राज्यों में इंटर्नशिप के लिए देश भर से हजारों छात्र दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका असर यह है कि एनमएसी 15 जुलाई को कोई फैसला दे सकती है। अगर छात्र हित में फैसला नहीं आया तो भविष्य बर्बाद हो जाएगा। पढ़ाई में लगे लाखों रुपये डूब जाएंगे।
यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस के छात्रों की इंटर्नशिप के संबंध में अब तक कोई भी दिशा निर्देश चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से नहीं मिला है। बिना अनुमति इंटर्नशिप नहीं करवाई जा सकती है। इंटर्नशिप के लिए कुछ छात्रों ने संपर्क किया था। इसकी जानकारी छात्रों को दे दी गई है।
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