दिल्ली मेट्रो एक नई प्रणाली शुरू कर रही है जहां यात्री नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) का उपयोग कर यात्रा कर सकते हैं। इसका मतलब है कि अन्य यात्रियों के साथ लाइन में प्रतीक्षा करने के बजाय, एनसीएमसी धारक सभी मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास बिंदुओं पर स्वचालित गेट का उपयोग कर सकेंगे।
डीएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि एनसीएमसी कार्ड से यात्रा करने वालों के लिए जो गेट रिजर्व किए जा रहे हैं, उनमें एक अलग तरह का सॉफ्टवेयर लगाया जाएगा, जो केवल एनसीएमसी कार्ड को ही रीड करेगा। इसके साथ ही इन गेटों पर क्यूआर कोड स्कैनर भी लगाया जाएगा, जिसे अपने फोन से स्कैन करके लोग मेट्रो में सफर कर सकेंगे। इसके अलावा इन गेटों से अकाउंट बेस्ड टिकट और नियर फील्ड कम्यूनिकेशन (NFC) के जरिए भी यात्रा करने की सुविधा मिलेगी। यानी लोग अपने फोन में मौजूद टिकट के क्यूआर कोड को गेट पर पंच करके भी एंट्री कर सकेंगे। इस नए सिस्टम के शुरू होने के बाद मेट्रो के स्मार्ट कार्ड की जरूरत लगभग खत्म हो जाएगी। लोग अपने बैंक के रूपे आधारित डेबिट/क्रेडिट कार्ड या मोबाइल से ही मेट्रो में यात्रा कर सकेंगे और किराया सीधे उनके बैंक अकाउंट से कट जाएगा। क्यूआर कोड भी एनसीएमसी सिस्टम से जुड़ा होगा। जैसे अभी हम किसी मोबाइल वॉलेट के जरिए क्यूआर कोड स्कैन करके सीधे अपने बैंक खाते से यूपीआई के जरिए पेमेंट कर देते हैं, उसी तरह से मेट्रो में सफर का किराया भी दे सकेंगे।
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डीएमआरसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि, वे जल्द ही एयरपोर्ट लाइन के अलावा अन्य मेट्रो स्टेशनों पर भी गेट लगाना शुरू करने जा रहे हैं, ताकि एनसीएमसी कार्ड वाले यात्री इनका इस्तेमाल कर सकें। इन गेट्स पर मेट्रो स्मार्ट कार्ड की तरह दिखने वाले एक कार्ड की फोटो होगी, जिस पर एनसीएमसी लिखा होगा। इसके आगे क्यूआर कोड लगे होंगे, जिन्हें स्कैन करके आप अपने गंतव्य तक ले जा सकते हैं। अन्य लोगों को उनका उपयोग करने से रोकने के लिए स्टिकर जो “केवल कार्ड” कहते हैं, फाटकों पर लगाए जाएंगे।
मेट्रो नेटवर्क की 12 लाइनों के 286 स्टेशनों पर करीब 3,330 एएफसी गेट लगे हुए हैं, जिन पर कार्ड या टोकन पंच करके लोग स्टेशन में प्रवेश करते हैं। इनमें से करीब 10 प्रतिशत गेटों को NCMC कार्डधारकों के लिए रिजर्व किया जाएगा। हर स्टेशन पर कम से कम एक-एक एंट्री-एग्जिट गेट रिजर्व रहेगा। इसके अलावा फेज-4 में बन रहे नए स्टेशनों के भी करीब 350 गेट रिजर्व रहेंगे। फेज-3 के स्टेशनों पर गेट्स लगाने का काम पूरा हो चुका है और अब फेज-1 और 2 के स्टेशनों पर काम चल रहा है, जो मार्च तक पूरा हो जाएगा। टेस्टिंग और ट्रायल के बाद मार्च के आखिर तक या अप्रैल में इस सिस्टम को पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा। इसके लिए मेसर्स थेल्स और पेटीएम बैंक के कंसोर्टियम को गेट लगाने और नया सॉफ्टवेयर डिवेलप करने का जिम्मा सौंपा गया है।
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