फैंस और क्रिकेट एक्सपर्ट्स हैरान हैं कि चेन्नई सुपर किंग्स आखिरकार इतने अजीब फैसले क्यों ले रही है। पूर्व कप्तान एमएस धोनी के रहते हुए आईपीएल 2025 में चेन्नई की रणनीतियों को समझना मुश्किल हो गया है। कभी धोनी बैटिंग ऑर्डर में बहुत नीचे आते हैं, तो कभी अचानक ऊपर आकर सभी को चौंका देते हैं। वहीं, टीम मैनेजमेंट ऐसी गलतियां कर बैठता है, जो देख कर सामान्य क्रिकेटप्रेमी भी यही कह उठते हैं, ‘यह चेन्नई को आखिर हो क्या गया है?’ बुधवार को मुल्लानपुर में पंजाब किंग्स ने चेन्नई को 18 रन से हराकर एक और हार का सामना कराया।
पंजाब ने पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवरों में 6 विकेट पर 219 रन बनाए, तो चेन्नई की टीम इतने ही ओवर में 5 विकेट पर 201 रन ही बना सकी, लेकिन अगर सुपर किंग्स बड़ी रणनीतिक गलती नहीं करता, तो वह यह मैच जरूर जीत लेता. चेन्नई को जब मैच जीतने के लिए आखिरी दो ओवरों में 43 रन की दरकार थी, तब प्रबंधन ने डेवोन कॉन्वे को रिटायर्ड आउट कराने का फैसला किया. तब कॉन्वे 49 गेंदों पर 69 रन बनाकर खेल रहे थे. सवाल है कि इस फैसले का क्या मतलब था? अगर प्रबंधन को लग रहा था कि कॉन्वे धीमा खेल रहे हैं, तो सिर्फ दो ओवर पहल ही क्यों?
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“कॉन्वे को जल्दी बुलाने का फैसला क्यों नहीं लिया गया? जडेजा और विजय शंकर को मिलता अधिक मौका”
अगर चेन्नई काफी पहले ही कॉन्वे को बुला लेता, तो कौन जानता था कि सुपर किंग्स को लगातार चौथी हार का मुंह नहीं देखना पड़ता. ऐसे में किसी को भी कॉन्वे को रिटायर्डआउट का फैसला समझ नहीं आया. अगर कॉन्वे को और पहले बुला लिया जाता, तो जडेजा और पिछले मैच के अर्द्धशतकवीर विजय शंकर को और हाथ दिखाने का मौका मिलता. जडेजा सिर्फ 5 ही गेंद खेल सके, तो विजय शंकर 2 गेंदों पर नाबाद इतने ही रन बना सके. अगर कॉन्वे को और पहले बुला लिया जाता, तो विजय शंकर और जडेजा को ज्यादा गेंद मिलतीं, जो एक गलत फैसले के कारण नहीं ही मिल सकीं.
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