November 6, 2024

News , Article

Modi

पीएम मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा सनातन धर्म की प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के खिलाफ एक जनहित याचिका प्रस्तुत की गई है। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट में रोक लगाने की मांग है, और यह कहा गया है कि शंकराचार्य इसके खिलाफ हैं और पूस में धार्मिक कार्य नहीं होते।

Also Read:- MHA cancels Centre for Policy Research’s FCRA licence

पीएम मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर याचिका दाखिल; सनातन धर्म की प्रक्रिया के खिलाफ है

इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर रोक लगाने की जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में सनातन परंपरा के खिलाफ आपत्तियों का हवाला दिया गया है, जिन्हें शंकराचार्यों ने उठाया है। कहा गया है कि इसका उपयोग भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव से लाभ उठाने के लिए किया है। याचिका की त्वरित सुनवाई की मांग की गई है। भोला दास नामक व्यक्ति द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि 22 जनवरी को अयोध्या में एक धार्मिक कार्यक्रम होने वाला है।

Also Read: Trinamool’s Mahua Moitra asked to vacate government bungalow immediately

उस स्थान पर निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इस प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा, और इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो रहे हैं, जो गलत है। याचिका ने अपनी जनहित याचिका में इसके लिए कई आधार बताए हैं। उसके अनुसार, यह प्राणप्रतिष्ठा गलत है, क्योंकि सनातन धर्म के अगुवा शंकराचार्यों ने इस पर आपत्ति उठाई है। दूसरा, पूस महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। 25 जनवरी को पूर्णिमा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शासनादेश की चुनौती को नकारा, जनहित याचिका पर सुनवाई में होगी सुचित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव द्वारा जारी गए एक शासनादेश के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। इस याचिका में 22 जनवरी 2024 को प्रदेश के सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन, रामचरित मानस का पाठ, और सभी शहरों में रथ/कलश यात्रा का आदान-प्रदान होने के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने यह मामला सूचीबद्ध होने पर ही सुनवाई करने का निर्णय लिया है। जनहित याचिका को ऑल इंडिया लाॅयर्स यूनियन (एआईएलयू) द्वारा दाखिल किया गया है और इसमें कुल चार लोगों को पक्षकार बनाया गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता के समक्ष यह याचिका अर्जेंट नहीं मानी गई है।

Also Read: रनवे पर यात्रियों ने खाया खाना, MoCA ने इंडिगो और मुंबई एयरपोर्ट को किया नोटिस जारी