February 13, 2025

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वॉशिंगटन में पीएम मोदी और तुलसी गबार्ड ने किन मुद्दों पर चर्चा की?

वॉशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की अमेरिका यात्रा पर हैं और बुधवार शाम (अमेरिकी समयानुसार) वॉशिंगटन पहुंचे। यहां उनकी मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से हुई। बैठक में भारत-अमेरिका संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसमें आतंकवाद से निपटने और खुफिया सहयोग को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया। पीएम मोदी अमेरिका में लगभग 36 घंटे रहेंगे और इस दौरान छह प्रमुख बैठकें करेंगे, जिनमें से पहली मुलाकात तुलसी गबार्ड के साथ हुई।

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पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड को शुभकामनाएं दीं

पीएम मोदी ने हिंदू-अमेरिकी तुलसी गबार्ड को अमेरिका की टॉप खुफिया अधिकारी नियुक्त किए जाने को लेकर उन्हें बधाई भी दी. दरअसल बुधवार को सीनेट की तरफ से पुष्टि किए जाने के कुछ घंटों बाद, तुलसी गबार्ड ने ओवल ऑफिस में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में शपथ ली थी. पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “वाशिंगटन डीसी में US की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की और उन्हें बधाई दी. हमारे बीच भारत-US दोस्ती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसकी वह हमेशा से प्रबल समर्थक रही हैं.”

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साइबर सुरक्षा और खुफिया साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच आतंकवाद से निपटने, साइबर सुरक्षा और उभरते खतरों में खुफिया सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई.  पीएम मोदी फ्रांस के बाद बुधवार को शाम करीब 5.30 बजे (गुरुवार, सुबह 4 बजे IST) अमेरिका के वॉशिंगटन पहुंचे. पीएम मोदी ट्रंप संग गुरुवार को व्हाइट हाउस में द्विपक्षीय चर्चा करेंगे. इससे पहले पेरिस में पीएम मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की थी. 

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अमेरिका के अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी ने तुलसी गबार्ड को पद की शपथ दिलाई. ट्रंप ने गबार्ड को असाधारण साहस और देशभक्ति वाली अमेरिकी महिला कहकर संबोधित किया था. उन्होंने कहा कि तुलसी को तीन बार आर्मी नेशनल गार्ड में  तैनात किया जा चुका है. वह एक पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य हैं. वहीं तुलसी ने भी उन पर भरोसा जताने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को धन्यवाद दिया.

पद की शपथ लते ही उन्होंने खुफिया समुदाय पर फिर से फोकस करने की कसम खाई. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, अमेरिकी लोगों को खुफिया समुदाय पर बहुत कम भरोसा है, इसकी वजह यह है कि उन्होंने एक ऐसी यूनिट का हथियारीकरण और राजनीतिकरण देखा है, जिसे पूरी तरह से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित होना चाहिए था.