उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट पर वोटिंग शुरू हो चुकी है। हालांकि उपचुनाव सिर्फ इसी सीट पर हो रहा है। लेकिन इसे जीतने के लिए योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव पूरी ताकत झोंक रहे हैं। दोनों नेताओं ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है। इस चुनाव के नतीजे यूपी की राजनीति पर असर डाल सकते हैं। यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं। समाजवादी पार्टी, जो पिछले दस साल से सत्ता से बाहर है। वह वापसी के लिए बेताब है। वहीं, बीजेपी फैजाबाद की हार का बदला लेने के लिए मैदान में उतरी है।
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सीएम योगी और अखिलेश के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बनी मिल्कीपुर सीट
मिल्कीपुर चुनाव योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। योगी हर हाल में फैजाबाद की हार का बदला लेना चाहते हैं। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरा दिया था। फैजाबाद लोकसभा सीट में अयोध्या भी शामिल है। 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था। बीजेपी ने इसी जोश में चार सौ पार का नारा दिया। लेकिन पार्टी फैजाबाद सीट तक नहीं बचा पाई। अखिलेश यादव ने इस सामान्य सीट से दलित नेता अवधेश प्रसाद को टिकट दिया। उन्होंने PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोट के सहारे चुनाव जीत लिया।
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यह सीट बीजेपी के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है।
मिल्कीपुर सीट बीजेपी के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। यहां राम मंदिर का मुद्दा ज्यादा प्रभावी नहीं है। इसलिए पार्टी हिंदुत्व के साथ सामाजिक समीकरण पर भी भरोसा कर रही है। बीजेपी ने हर वोटर तक पहुंचने की पूरी कोशिश की है। विभिन्न जातियों के चालीस विधायकों की टीम चुनाव प्रचार में उतारी गई थी। पार्टी ने अपने बूथों को तीन कैटेगरी में बांटा है। सबसे मजबूत बूथों को ए कैटेगरी। कम वोटों से बढ़त वाले बूथों को बी कैटेगरी और जहां पार्टी पिछली बार हार गई थी। उन्हें सी श्रेणी में रखा गया है। इस बार बीजेपी का फोकस बी और सी कैटेगरी के बूथों पर है।
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पासी बिरादरी के हैं उम्मीदवार
समाजवादी पार्टी और बीजेपी के उम्मीदवार इस बार पासी बिरादरी के हैं। मिल्कीपुर सीट पर निर्णायक वोट अब ब्राह्मणों का हो गया है। इसलिए बीजेपी ने अयोध्या के ब्राह्मण नेता इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को बड़ी ज़िम्मेदारी दी ही। मिल्कीपुर में
ब्राह्मण – 75,000
यादव – 55,000
पासी- 63,000
मुस्लिम- 30,000
ठाकुर – 22,000 और
कोरी – 20,000 वोटर हैं
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