January 8, 2025

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raghav kumar

दिल्ली चुनाव घोषणा पर CEC राजीव कुमार की आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एक अहम बात कही। उन्होंने बताया कि यह उनके मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस है, संकेत देते हुए कि उनका कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है

राजीव कुमार इसी साल फरवरी में अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अपनी इस आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने ईवीएम और अतिरिक्त वोटों से जुड़े चुनाव आयोग पर उठाए गए आरोपों का जवाब दिया।

राजीव कुमार ने 15 मई 2024 को 25वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में पदभार संभाला था। वे 1 सितंबर 2020 से निर्वाचन आयुक्त के रूप में चुनाव आयोग से जुड़े थे। चुनाव आयुक्त के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव कराए गए थे।

मार्च में कोविड संक्रमण के दौरान असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु, और पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोजित किए गए। इसके अलावा, मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में राजीव कुमार ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव, लोकसभा चुनाव, और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव कराए।

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कौन हैं राजीव कुमार

राजीव कुमार का जन्म 19 फरवरी, 1960 को हुआ था। वे 1984 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और 36 साल तक विभिन्न प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत रहे। उन्होंने बिहार-झारखंड कैडर और केंद्र के कई मंत्रालयों में सेवाएं दीं। राजीव कुमार ने बीएससी, एलएलबी, पीजीडीएम और लोक नीति में एमए की डिग्री भी हासिल की है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने सामाजिक, पर्यावरण-वन, मानव संसाधन, वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में भी कार्य किया। वे फरवरी 2020 में केंद्रीय वित्त सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।

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छह साल का होता है चुनाव आयुक्त का कार्यकाल

राजीव कुमार को 1 सितंबर 2020 को चुनाव आयोग में आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह साल या 65 वर्ष की आयु तक (जो पहले हो) होता है। चूंकि कुमार का जन्म फरवरी 1960 में हुआ था, उनका कार्यकाल 2025 तक रहेगा।

इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण चुनावों के आयोजन में अहम भूमिका निभाई और चुनाव आयोग के संचालन में अपनी भूमिका को प्रभावी तरीके से निभाया।

उनके कार्यकाल में भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं को मजबूत करने का प्रयास किया गया, और उन्होंने चुनावों की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए।

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