November 20, 2024

News , Article

Prime minister

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में हंगामा करने वाले विपक्षी दलों पर निशाना साधा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले विपक्षी दलों को लेकर कुछ तेज टिप्पणियाँ दीं. उन्होंने इसे ‘आदतन हुड़दंग’ कहा और उन जनप्रतिनिधियों को भी याद दिलाया जिन्होंने ऐसा किया. पीएम ने विपक्षी दलों से सांसदों के बीच हंगामे और शोरगुल को नियंत्रित करने की अपील की, और उन्होंने संसद में सार्थक चर्चा की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने सांसदों से सहमति बनाने और सरकारी कामों पर ध्यान केंद्रित करने की बातें कीं.

Also Read: कड़ाके की ठंड और कोहरे से परेशान उत्तर भारत, 19 ट्रेनें लेट

कुछ लोगों के आदतन हुड़दंग से लोकतंत्र का चीरहरण

संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को सख्ती से लिया. उन्होंने संसद में हंगामा करने वाले विपक्षी दलों पर तीखे टिप्पणियाँ की और कहा कि कुछ लोग आदतन हुड़दंग करते हैं, जिससे लोकतंत्र को नुकसान होता है. उन्होंने सांसदों से चुनाव से पहले होने वाले सांसद सत्र में सार्थक चर्चा की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट भाषण में सरकार की मजबूत आर्थिक नीतियों की पूरी तस्वीर प्रस्तुत करेंगी. उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण का भी स्वागत किया और इसे सरकार के मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया.

Also Read: दिल्ली भाजपा 21000 लोगों को कराएगी रामलला के दर्शन

प्रधानमंत्री ने नारीशक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र किया

संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने अपने नए रूप में एक नया चेहरा प्रकट किया. संसद सत्र में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत ‘राम-राम’ के साथ की. उन्होंने कहा, “वर्ष 2024 का राम-राम. साथियों, इस नए संसद भवन में जो पहला सत्र हुआ था, उसके आखिर में एक बहुत ही गरिमापूर्ण फैसला लिया गया था. वह फैसला था नारीशक्ति वंदन अधिनियम और उसके बाद 26 जनवरी को भी हमने देखा कि किस प्रकार से देश ने कर्तव्यपथ पर नारी शक्ति के सामर्थ्य को, नारी शक्ति के शौर्य को, नारी शक्ति के संकल्प की शक्ति को अनुभव किया गया.

Also Read: अंडर-19 वर्ल्ड कप का पहला सुपर-6 मुकाबला जीता भारत

हंगामा करने वालों के लिए पश्चाताप का अवसर

प्रधानमंत्री ने रचनात्मक आलोचना की अपील करते हुए कहा, ‘विरोध का स्वर तीखा क्यों न हो, आलोचना तीखी क्यों न हो. लेकिन जिन्होंने सदन को आशान्वति किया होगा, उनसे देश प्रभावित हुआ होगा. जिन्होंने भले ही विरोध न किया हो, लेकिन खुद की प्रतिभा से परिचय कराया होगा, तीखी आलोचना के बावजूद अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखा होगा.’ लेकिन जिन्होंने सिर्फ हुड़दंग, शरारतपूर्ण व्यवहार किया होगा.