पिछले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय, भाजपा ने प्रदेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचार किए जाने का मामला उठाया था। इसमें भाजपा नेताओं ने सुझाव दिया कि पश्चिम बंगाल में मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू समुदाय के लोगों को विस्थापन, हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
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लोकसभा चुनाव: शाहजहां शेख मुद्दा पश्चिम बंगाल का चुनावी केंद्र
शाहजहां शेख का मुद्दा आने वाले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में सबसे महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन रहा है। भाजपा नेता इसे समूचे राज्य में फैलाने का प्रयास करेंगे और ममता बनर्जी सरकार को मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप में घेरने की कोशिश करेंगे। विशेषकर मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू मतदाताओं के बीच यह संवेदनशील मुद्दा बन सकता है, जिससे ममता बनर्जी को नुकसान हो सकता है जबकि भाजपा को लाभ हो सकता है। यदि पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं का विभाजन होता है, तो इससे स्थापित राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के समय भी भाजपा ने प्रदेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचार किए जाने का मुद्दा उठाया था, जिसे भाजपा नेताओं ने सुजाव दिया कि पश्चिम बंगाल में मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू समुदाय के लोगों को विस्थापन, हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
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पश्चिम बंगाल में हिंदू-मुस्लिम समुदाय में विभाजन: अभियान के बावजूद भाजपा को सीमित सफलता
हालांकि भाजपा ने अपने जोरदार अभियान के बावजूद पश्चिम बंगाल में हिंदू-मुस्लिम समुदाय में बड़े विभाजन का समर्थन नहीं प्राप्त किया। यहां कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक सांठवाना और समझदारी में हिंदू-मुस्लिम के बीच ज्यादा भेद नहीं है। यहां के मुसलमान भी दुर्गा पूजा में भाग लेते हैं, तो हिंदू समुदाय को भी मस्जिदों से उठने वाली अजान से कोई परेशानी नहीं है। इसका परिणाम था कि भाजपा ने पश्चिम बंगाल में सीमित सफलता हासिल की, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, और सुवेंदु अधिकारी के हाई प्रोफाइल प्रचार अभियान के बाद भी भाजपा केवल 77 सीटों पर सिमटी रही। इसी चुनाव में भाजपा के मत प्रतिशत में 28 फीसदी और 74 सीटों में शानदार बढ़ोतरी हुई थी।
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