बुधवार को लोकसभा ने तीन नए आपराधिक विधेयक पारित किए। इससे न्याय जल्द मिलने की उम्मीद जगी है। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली है।
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इसमें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और बयान साक्ष्य और दस्तावेज के रूप में हैं। इससे साक्ष्य का व्यापक उपयोग होगा। फ्यूचर में मोबाइल फोन, कैमरा, सर्वर, आईएमआई, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि का व्यापक उपयोग होगा। सभी पुलिस थानों में गिरफ्तारों की लिस्ट भी होनी चाहिए। हर 24 घंटे एक अपडेट मिलेगा। अब थानेदार पर जानकारी छिपाने पर कार्रवाई और प्रमोशन रुक जाएगा।
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7 साल से अधिक कैद के सभी मामले में फोरेंसिक मेंडेटरी
वहीं, सात साल से अधिक कैद के सभी मामले में फोरेंसिक साइंस मेंडेटरी होगी। पहली बार बेल, बॉन्ड और टेररिज्म को कानून ने परिभाषित किया। राजद्रोह के स्थान पर अब देशद्रोह होगा। किसी के खिलाफ लिखना, बोलना या कहना राजद्रोह नहीं होगा। इसके अलावा, मॉब लिंचिंग पर पहली बार अधिकतम फांसी की सजा की घोषणा की गई है। मॉब लिंचिग को डिफाइन करते हुए कहा गया है कि अगर पांच से अधिक लोग गुनाह करते हैं।
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45 दिन में वरिष्ठ कोर्ट को देना होगा
अब देश छोड़कर विदेश भागे हुए अब्सकॉन्डर को ट्रायल कराया जा सकेगा। सजायाफ्ता होने के बाद विदेशों से देश में वापस ला पाना आसान होगा। Pocso में 15 को 18 कर दिया गया था मगर सीआरपीसी में फांसी नहीं था। डायरेक्टर ऑफ प्रॉसिक्यूशन, अब पीपी मनमानी कर पायेगा। वहीं कानून से फिलहाल एडल्ट्री को हटा दिया गया है। आईपीसी के धारा 304 के तहत गैर इरादतन मौत पर डॉक्टर को महज 2 साल की सजा होगी बाकि सबको 10 साल की सजा का प्रावधान है। अब केस हियरिंग कंप्लीट होने के बाद 45 दिन अंदर लोअर कोर्ट को वर्डिक्ट देना होगा, उसके 7 दिन के अंदर सजा देना होगा। अब लोअर कोर्ट के वकील को सिर्फ दो ही डेट मिलेगा।
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