December 23, 2024

News , Article

झारखंड champai soren

झारखंड की राजनीतिक समीकरण में हुआ बदलाव

झारखंड में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी नदारद रहे। खबर है कि वे सोरेन की एंट्री से खुश नहीं हैं। सोरेन की बीजेपी में शामिल होने से क्या बदलाव हो सकते हैं |

Also read:Telegram faces scrutiny by Indian security agencies in multiple cases

झारखंड की राजनीति में बगावत

झारखंड की राजनीति में इन दिनों बगावत का माहौल है। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से नाराज हैं और इसे सार्वजनिक भी कर चुके हैं। रविवार को वे दिल्ली पहुंचे और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। सरमा ने बताया कि सोरेन 30 अगस्त को बीजेपी में शामिल होंगे। इस घटनाक्रम में झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी नजर नहीं आए। खबरें हैं कि वे इस घटनाक्रम से नाराज हैं और पार्टी ने उन्हें दिल्ली बुलाया है।

Also read: कोलकाता रेप-मर्डर: 2 घंटे के झूठ पकड़ने वाले टेस्ट में अफसरों को घुमाता रहा आरोपी संजय रॉय

क्या चंपई सोरेन के बीजेपी में आने से खुश नहीं हैं बाबूलाल मरांडी

झारखंड की राजनीति के जानकारों के अनुसार, बाबूलाल मरांडी सोरेन की बीजेपी में एंट्री से खुश नहीं हैं। पिछले हफ्ते तक वे सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से इनकार करते रहे। इसके अलावा, सोरेन की बीजेपी में शामिल होने के घटनाक्रम में भी मरांडी की अनुपस्थिति ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

Also read:रूस के सरातोव में 38 मंजिला इमारत से टकराया ड्रोन, पलटवार में यूक्रेन के 12 शहरों पर सैकड़ों मिसाइलें दागीं

झारखंड में बीजेपी की रणनीति क्या है

झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि चंपई सोरेन की बीजेपी में एंट्री से आदिवासी वोटों में पार्टी की सेंध लग सकती है। लेकिन इसके साथ ही, राज्य ईकाई में खेमेबाजी बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। सोरेन के आने से बीजेपी के कई नेता अपने स्थान को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि पार्टी पहले से ही खेमेबाजी से परेशान है। इस खेमेबाजी का असर यह था कि बीजेपी लोकसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित कोई सीट नहीं जीत पाई, जबकि बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा जैसे आदिवासी नेता पार्टी में पहले से ही थे। बीजेपी सोरेन को शामिल कर आदिवासियों में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है और इसका फायदा विधानसभा चुनाव में उठाना चाहती है, जो इसी साल होने वाले हैं।