गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर BJP की पहली लिस्ट गुरुवार को जारी की जा सकती है। जिसमें 150 उम्मीदवारों के नाम होंगे। क्रिकेटर रविंद्र जड़ेजा की पत्नी रिवाबा को जामनगर से और वीरमगाम से हार्दिक पटैल को टिकट मिलने की संभावना है।
टिकटों के बंटवारे को लेकर दिल्ली में BJP सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (CEC) की बुधवार को मीटिंग हुई। करीब 3 घंटे चली मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह शामिल हुए। मीटिंग में गुजरात की 182 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की गई।
भाजपा की प्लानिंग- युवाओं को मौका मिले, 14 मंत्रियों के नाम कट सकते हैं
- भाजपा का मिशन-2022: इसके लिए 75 प्लस को मौका न देने का फैसला किया है। इसके साथ ही सत्ता विरोधी लहर की काट के रूप में 40 नए चेहरों को मौका देने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग के दौरान 2017 में जीत दिलाने वाले 99 विधायकों में से 20% को ड्रॉप करने का फैसला लिया गया है।
- इनकी टिकट कटेगी: विजय रूपाणी, नितिन पटेल, भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा, प्रदीप सिंह जाडेजा, आरसी फलदू, कौशिक पटेल, सौरभ पटेल, ईश्वरसिंह पटेल, जयद्रथसिंह परमार, बचु खाबड, वासण आहिर, विभावरी दवे, किशोर कानाणी और रमण पाटकर।
मीटिंग से पहले ही दिग्गजों का चुनाव लड़ने से इनकार
दिल्ली में होने वाली मीटिंग से पहले ही गुजरात के पूर्व CM, डिप्टी CM समेत पांच वरिष्ठ मंत्रियों ने विधानसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। इन नेताओं ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने की घोषणा की। शुरुआत डिप्टी CM नितिन पटेल ने की। फिर नितिन पटेल, पूर्व सीएम विजय रूपाणी, पूर्व गृहराज्यमंत्री प्रदीप सिंह जड़ेजा, पूर्व विधि एवं शिक्षा मंत्री भूपेन्द्र सिंह चूडास्मा एवं पूर्व मंत्री, बोटाद से सौरभ पटेल, प्रदेश अध्यक्ष रहे आरसी फलदू ने भी चुनाव न लड़ने के लिए लेटर लिखा है।
जाति फैक्टर के कारण लिस्ट जारी करने में देरी हुई
भाजपा और कांग्रेस को प्रत्याशी चयन में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। इन दोनों दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती जातीय समीकरणों को साधकर उम्मीदवार उतारना है। इस चुनाव में बड़े और छोटे 18 समुदायों ने दलों से टिकट मांगा है।
भाजपा से पाटीदार समुदाय ने 50 लोगों को टिकट देने को कहा। वहीं प्रजापति 10, कोली 72, ठाकोर 8, जैन 10-15, क्षत्रिय 25, अहीर 12, ब्राह्मण 10, इसके अलावा बंजारा, माली, भोई, राणा, खारवा, मेर, वाघेर जैसी अन्य छोटी जातियों ने भी अलग सीटों की मांग की है।
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