केंद्र सरकार ने 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटा दिया है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में शामिल होने पर रोक थी। अब सरकारी कर्मचारी आरएसएस की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे। यह जानकारी कांग्रेस ने दी, और बाद में भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी एक्स पर पुष्टि की।
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कांग्रेस का सरकार के फैसले पर विरोध
कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस महीने की शुरुआत में जारी सरकारी आदेश का हवाला देते हुए दावा किया कि सरकारी कर्मचारियों के लिए आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है। रमेश ने एक्स पर कहा, “फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। बाद में अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया, लेकिन आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।”
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जयराम रमेश ने सरकार के फैसले की आलोचना की
जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में दो सरकारी आदेश के पत्र संलग्न किए। उन्होंने लिखा, “1966 में आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था, और यह एक सही निर्णय था। यह 1966 में लगाए गए प्रतिबंध का आधिकारिक आदेश है।”
रमेश ने आगे कहा कि चार जून 2024 के बाद स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और आरएसएस के बीच संबंधों में तनाव आया। नौ जुलाई 2024 को 58 साल का प्रतिबंध हटा लिया गया, जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था।
कांग्रेस नेता ने आरएसएस की खाकी शॉर्ट्स की ओर इशारा करते हुए टिप्पणी की, “अब नौकरशाही भी निक्कर में शामिल हो सकती है।”
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जयराम रमेश का मोदी पर हमला: प्रतिबंध हटाने का आरोप
जयराम रमेश ने दावा किया कि यह पत्र कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है, जो आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से संबंधित है। कांग्रेस नेता ने एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि नौ जुलाई को प्रतिबंध हटा दिया गया था, जो पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान भी लागू था।
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