बिहार के खगड़िया जिले में अलौली, खगड़िया, बेलदौर और परबत्ता चार विधानसभा क्षेत्र आते हैं. चुनावी वर्ष में अमर उजाला अपनी विशेष सीरीज ‘सीट का समीकरण’ के तहत बिहार की राजनीति और प्रमुख चेहरों पर प्रकाश डाल रहा है. आज हम परबत्ता विधानसभा सीट के इतिहास, विजेताओं, रामानंद प्रसाद सिंह और उनके परिवार के प्रभाव, पिछले चुनाव के नतीजों और इस बार के संभावित समीकरणों पर चर्चा करेंगे.
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1952 से कायम परबत्ता विधानसभा सीट, खगड़िया लोकसभा का अहम हिस्सा
बिहार के 38 जिलों में से एक खगड़िया जिला भी है. यह जिला 2 अनुमंडल और 7 ब्लाक में विभाजित है. खगड़िया जिले में कुल चार विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें अलौली, खगड़िया, बेलदौर और परबत्ता विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. खगड़िया एक लोकसभा सीट भी है. यह लोकसभा सीट छह विधानसभा सीटों से मिलकर बनी है. इसमे खगड़िया जिले चार सीटों के अलावा दो सीटें सिमरी बख्तियारपुर और हसनपुर भी इस लोकसभा सीट का हिस्सा हैं. सिमरी बख्तियारपुर सहरसा जिले और हसनपुर समस्तीपुर में पड़ती है.
इस बार उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के सतीश प्रसाद सिंह को 4,735 वोट से हरा दिया 1964 में तत्कालीन विधायक लक्ष्मी देवी के निधन के बाद नए सिरे चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस ने एससी मिश्रा को टिकट दिया. मिश्रा यहां से जीतने में सफल रहे. मिश्रा इस बार सतीश प्रसाद सिंह को हराते हैं. पहले लक्ष्मी देवी फिर एससी मिश्रा से हारे सतीश प्रसाद सिंह आगे चलकर बिहार के मुख्यमंत्री बनते हैं.
परबत्ता में कांग्रेस का दबदबा, लक्ष्मी देवी और एससी मिश्रा ने दिलाई लगातार जीत
पांच साल बाद 1957 में हुए विधानसभा चुनाव में परबत्ता सीट पर नतीजे बदल गए. इस चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. 1957 के विधानसभा चुनाव में परबत्ता सीट पर पांच उम्मीदवार मैदान में थे. कांग्रेस ने यहां से महिला उम्मीदवार लक्ष्मी देवी को उतारा. इस चुनाव में लक्ष्मी देवी को 54.79% को मिले. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार रामस्वरूप प्रसाद सिंह को 13,596 वोट से हरा दिया. 1962 में भी यहां से कांग्रेस की लक्ष्मी देवी ने फिर से जीत दर्ज की. इस बार उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के सतीश प्रसाद सिंह को 4,735 वोट से हरा दिया.
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1967 में संसोपा के सतीश प्रसाद सिंह की जीत, दो साल बाद बने बिहार के मुख्यमंत्री
1967 के विधानसभा चुनाव में परबत्ता सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस को हार मिली. 1964 के उप चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीते एससी मिश्रा इस चुनाव में तीसरे स्थान पर चले गए. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) के टिकट पर उतरे सतीश प्रसाद सिंह को इस चुनाव में जीते. सतीश प्रसाद सिंह ने निर्दलीय एलएल मिश्रा को 13,860 वोट से हरा दिया।जमीन का टुकड़ा बेच-बेच कर चुनाव लड़ने वाले सतीश प्रसाद सिंह को तीसरे प्रयास में मिली सफलता यहीं तक सीमित नहीं थी. आगे उनके लिए बहुत कुछ बदलने वाला था. ये बदलाव दो साल बाद आया जब 1969 में सतीश प्रसाद सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने.
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