November 6, 2024

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Peter Higgs

94 वर्षीय नोबेल विजेता पीटर हिग्स का निधन, की गॉड पार्टिकल की खोज

ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी पीटर हिग्स का निधन हो गया है। वे ९४ वर्ष के थे। उनके पास हिग्स-बोसोन पार्टिकल, यानी गॉड पार्टिकल था। इससे बिग बैंग के बाद सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ समझाया जा सकता था। उन्होंने बताया कि बोसोन इस विश्वविद्यालय को एकजुट रखता है। 2013 में उन्हें फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

A&M University ने बताया कि पीटर ने बीमारी के बाद 8 अप्रैल को अपने घर में अंतिम सांस ली। वह इस संस्थान में लंबे समय तक प्रोफेसर रहे थे।

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हिग्स बोसन: ब्रह्मांड के रहस्य की परिभाषा का आरंभिक पहलू

BBC की रिपोर्ट के अनुसार, 1960 के दशक में हिग्स और अन्य भौतिक विज्ञानियों ने ब्रह्मांड को आखिर किस चीज से बनाया था। उन्होंने इस प्रयास में भौतिकी के मूल प्रश्न का उत्तर खोजना चाहा। 2012 में वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया और इसे हिग्स बोसोन नाम दिया गया। दूसरे शब्दों में, हिग्स बोसोन कण के अस्तित्व की पुष्टि 4 जुलाई 2012 को हुई। 2012 से पहले, हिग्स बॉसन या गॉड पार्टिकल विज्ञान का सिद्धांत था।

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भारतीय वैज्ञानिकों ने ‘गॉड पार्टिकल’ खोज में महत्वपूर्ण योगदान दिया

भारत भी “गॉड पार्टिकल” की तलाश में था। “हिग्स बोसोन” का नाम ब्रिटिश भौतिकशास्त्री पीटर हिग्स है। वहीं, भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर इसका नाम ‘बोसोन’ है। साथ ही, जुलाई 2012 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने बोस को एक लेख में ‘फादर ऑफ गॉड पार्टिकल’ कहा था। 1 जनवरी 1874 को कलकत्ता में जन्मे सत्येन्द्र बोस ने क्वांटम मैकेनिक्स और मैथेमेटिकल फिजिक्स में महत्वपूर्ण योगदान दिया। क्वांटम स्टैटिस्टिक्स पर बोस ने एक शोधपत्र लिखा, जो ब्रिटिश जर्नल को भेजा गया था, लेकिन वह प्रकाशित नहीं हो सका।

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1924 में बोस ने अलबर्ट आइंस्टीन को पत्र लिखा और अपना शोधपत्र भी भेजा। आइंस्टीन ने बोस का काम बहुत महत्वपूर्ण था, इसलिए उसे एक जर्मन जर्नल में प्रकाशित करवाया। बोसोन शब्द पहली बार इस जर्नल ने इस्तेमाल किया था। आइंस्टीन ने सत्येंद्र नाथ बोस की खोज को ही बोसोन नाम दिया था।

हिग्स बोसोन: कणों को भार देने की महत्वपूर्ण खोज

BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, लिवरपूल विश्वविद्यालय में पार्टिकल फिजिक्स की शिक्षिका तारा सियर्स ने कहा, “हिग्स बोसोन से कणों को भार मिलता है।” सुनने में यह बिल्कुल सामान्य लगता है, लेकिन तारे नहीं बन सकते थे अगर कणों में भार नहीं था। आकाश में परमाणु और होंती भी नहीं होते। ब्रह्रांड बिल्कुल अलग होता।”

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द्रव्यमान, या भार, किसी भी चीज को अपने अंदर रख सकता है। अगर कुछ नहीं होगा, तो किसी चीज के परमाणु उसके अंदर घूमते रहेंगे और कभी नहीं जुड़ेंगे। इस सिद्धांत के अनुसार, हर खाली जगह में हिग्स फील्ड बना हुआ है। इस क्षेत्र में हिग्स बोसोन नामक कण होते हैं।

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