November 22, 2024

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महिला आरक्षण बिल पर PM मोदी का बड़ा ऐलान, ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ दिया नाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ लाने की जानकारी दी. नई लोकसभा में अपने पहले संबोधन में पीएम मोदी ने ‘सभी सांसदों से इस बिल को सर्वसम्मति से पारित कराने की अपील की.’ पीएम मोदी ने नई संसद में अपने पहले संबोधन में महिला आरक्षण बिल का जिक्र करते हुए कहा कि ‘अनेक सालों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं, बहुत संवाद हुए हैं. पहली बार यह साल 1996 में पेश हुआ था. अटल जी के समय भी कई बार पेश हुआ लेकिन नंबर न होने के कारण पास नहीं करा पाए. शायद ईश्वर ने ऐसे पवित्र काम के लिए मुझे चुना है.’

प्रधानमंत्री मोदी की सराहना और बड़ा कदम महिला सशक्तिकरण की दिशा में

पीएम मोदी ने आगे कहा कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से लोकतंत्र मजबूत होगा. इसके लिए महिलाओं को बधाई. मैं सदन के सभी साथियों से इस बिल को सर्वसम्मित से पारित कराने की प्रार्थना करते हुए आपका आभार व्यक्त करता हूं.’ बता दें कि महिला आरक्षण विधेयक आज लोकसभा में पेश किया जा सकता है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक महिला आरक्षण बिल को संविधान के 128वें संशोधन विधेयक के रूप में पेश करेगी.

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महिला आरक्षण बिल

बता दें कि इस बिल में प्रावधान है कि राज्यों की विधानसभा और संसद में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित रखी जाएंगी. इसके लागू होते ही देश की संसद में और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण लागू हो जाएगा. इस बिल के मुताबिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें एससी-एसटी समुदाय से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षित रखी जाएंगी. इन आरक्षित सीटों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अलग-अलग क्षेत्रों में रोटेशन प्रणाली से आवंटित किया जा सकता है.

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कब हुआ महिला आरक्षण विधेयक के प्रयास

महिला आरक्षण बिल साल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है. उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था. लेकिन यह पारित नहीं हो सका था. यह बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था. फिर साल 2010 में यूपीए सरकार में भी महिला आरक्षण विधेयक संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में पेश किया गया था. हालांकि राज्यसभा में यह पास हो गया था, लेकिन सहयोगी पार्टियों के दबाव के कराण विधेयक लोकसभा में नहीं लाया जा सका.

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