152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 12 सितंबर को सुनवाई हुई। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को 5 जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया।
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हालांकि केंद्र सरकार ने नए बिल का हवाला देकर कोर्ट से सुनवाई टालने का अनुरोध किया। इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि भले ही नया विधेयक कानून बन जाए, लेकिन नए कानून का पिछले मामलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह सभी डॉक्यूमेंट्स CJI के सामने रखे, ताकि बेंच बनाने के लिए फैसला किया जा सके।
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कोर्ट रूम में देशद्रोह कानून की सुनवाई के दौरान CJI की टिप्पणियां
- अदालत ऐसे कानूनों के इस्तेमाल को लेकर चिंतित है। इसका इस्तेमाल बढ़ई को लकड़ी का एक टुकड़ा काटने के लिए आरी देने जैसा है, जो उसका इस्तेमाल पूरे जंगल को काटने के लिए करता है।
- राजद्रोह कानून को चुनौती देने के लिए बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत है, क्योंकि 1962 के केदार नाथ सिंह मामले में पांच जजों की बेंच ने इस प्रावधान को बरकरार रखा था।
- केदारनाथ का फैसला तत्कालीन मौलिक अधिकारों की संकीर्ण समझ से किया था। साथ ही केदारनाथ ने उस समय के संवैधानिक कानून की समझ से केवल अनुच्छेद 19 को देखते हुए इस मुद्दे की जांच की थी कि मौलिक अधिकार अलग-अलग हिस्सों में बंटे होते हैं।
- CJI ने अपराध की प्रकृति पता चलने पर कहा कि औपनिवेशिक शासन में इसमें बिना वारंट के गिरफ्तारी नहीं हो सकती थी, लेकिन हमने ही इसे संज्ञेय यानी गंभीर अपराध बना दिया।
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मामला 7 जजों की बेंच को भेजा जाए
भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बेंच को नए विधेयक (भारतीय न्याय संहिता) के बारे में बताया, जिसे IPC की जगह लाने के लिए लोकसभा में पेश किया गया है। AG ने कहा कि नया विधेयक, जिसमें राजद्रोह का अपराध शामिल नहीं है, संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया है। इसलिए बेंच से अपील की कि फैसला होने तक सुनवाई रोक दी जाए।
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हालांकि याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने तुरंत कहा कि नए विधेयक में भी ऐसा ही प्रावधान है, जो बहुत खराब है। याची के एडवोकेट दातार भी इस दलील से सहमत दिखे, उन्होंने कहा- नए बिल में भी राजद्रोह मौजूद है, बस उन्होंने एक नया लेबल दे दिया है। सिब्बल ने यह भी अनुरोध किया कि मामले को सीधे 7 जजों की पीठ को भेजा जाए।
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