November 19, 2024

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सीजेआई

‘संसदीय विशेषाधिकार नहीं है रिश्वतखोरी’, ‘वोट के बदले नोट’ फैसले में सीजेआई ने की अहम टिप्पणियां

वोट के बदले नोट लेने के मामले में अभियोजन (मुकदमे) से छूट देने का फैसला सुनाया गया था। मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि ‘यह साबित करने में विफल रहा है कि माननीयों को विधायी कार्यों में इस छूट की अनिवार्यता है।’

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सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत लेने वाले वोट देने वालों को अभियोजन से राहत देने का इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में रिश्वत लेने वाले वोट देने वालों को अभियोजन से छूट देने का फैसला सुनाया है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 1998 में पीवी नरसिम्हा राव के मामले में दिए गए अपने पिछले फैसले को पलटा। चीफ जस्टिस ने कहा कि ‘माननीयों को मिली छूट यह साबित करने में विफल रही है कि माननीयों को अपने विधायी कार्यों में इस छूट की अनिवार्यता है।’ नरसिम्हा राव मामले में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों को वोट के बदले नोट लेने के मामले में अभियोजन (मुकदमे) से छूट देने का फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस ने कहा कि ‘माननीयों को मिली छूट यह साबित करने में विफल रही है कि माननीयों को अपने विधायी कार्यों में इस छूट की अनिवार्यता है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा: सांसदों को रिश्वतखोरी में नहीं मिलेगी छूट

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि रिश्वतखोरी, संसदीय विशेषाधिकार नहीं हैं और माननीयों द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारत के संसदीय लोकतंत्र को तबाह कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि जो विधायक राज्यसभा चुनाव के लिए रिश्वत ले रहे हैं उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि आज सात जजों की पीठ ने कहा है कि अगर सांसद पैसे लेकर सदन में सवाल पूछते हैं या वोट करते हैं, तो वे विशेषाधिकार का तर्क देकर अभियोजन से छूट का दावा नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसे लेकर वोट देने या सवाल पूछने से भारत का संसदीय लोकतंत्र तबाह हो जाएगा।

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