दिल्ली की सीमाओं पर पिछले काफी दिनों से डटे किसान आज एक बार फिर से राजधानी में कूच की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच पुलिस और सुरक्षा बल पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं. हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर मौजूद किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने आज एक बार फिर से आंसू गैस के गोले दागे. ड्रोन के जरिए किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए. पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले दागने के बाद वहां भगदड़ मच गई.
शंभू बॉर्डर पर पुलिस का बल प्रयोग
किसानों मे आज 11 बजे दिल्ली में प्रवेश का ऐलान किया था, जिसके बाद किसान बॉर्डर से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने उनको आगे बढ़ने से रोकने के लिए बल प्रयोग किया. बता दें कि करीब 14 हजार किसान 12 हजार टैक्टर्स के साथ दिल्ली में धावा बोलने की तैयारी में हैं. लेकिन पुलिस नहीं चाहती कि इस बार 2021 जैसी कोई भी चूक हो. पिछले विरोध मार्च से सबक लेते हुए पुलिस ने इस बार सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं. जगह -जगह पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और किसानों की हर एक हरकत पर नजर रखी जा रही है.
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किसान बॉर्डर पर पोकलेन और जेसीबी समेत बड़ी मशीने लेकर पहुंचे हैं. वहीं हरियाणा पुलिस ने बुधवार को मिट्टी खोदने वाली मशीनों के मालिकों से कहा कि वह प्रदर्शन स्थल से अपनी मशीनें हटाएं, वरना कार्रवाई के लिए तैयार रहें. पुलिस के मुताबिक, अगर प्रदर्शनकारी किसान इन मशीनों का इस्तेमाल करते हैं तो इससे पंजाब और हरियाणा के दो सीमा बिंदुओं पर तैनात सुरक्षा कर्मियों को नुकसान पहुंच सकता है.
पंजाब और हरियाणा के बीच दो सीमा बिंदुओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान बुधवार को अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिर से शुरू किया है. सरकार ने पांच साल तक दालें, मक्का और कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने का प्रस्ताव किसानों को दिया था. लेकिन केंद्र के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन फिर शुरू कर दिया है.
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दिल्ली के कई रास्तों पर लंबा जाम
राजधानी में कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया है, जिसके बाद दिल्ली-गुरुग्राम, दिल्ली-बहादुरगढ़ और कई अन्य सड़कों पर यातायात बाधित रहा. किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत में तीन केंद्रीय मंत्रियों की समिति ने रविवार को प्रस्ताव दिया था कि किसानों के साथ समझौता करने के बाद सरकारी एजेंसियां पांच साल तक दालें, मक्का और कपास एमएसपी पर खरीदेंगी, लेकिन, किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह किसानों के हित में नहीं है.
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