कारगिल विजय दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह लगभग 9:20 बजे कारगिल युद्ध स्मारक का दौरा करेंगे, जहाँ वे कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। लगभग 10 बजे, प्रधानमंत्री वर्चुअल माध्यम से शिंकुन ला सुरंग परियोजना के पहले विस्फोट का उद्घाटन भी करेंगे।
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कारगिल विजय दिवस: भारत के सैन्य इतिहास का गौरवशाली अध्याय
कारगिल विजय दिवस भारत के सैन्य इतिहास में एक गौरवशाली दिन है। यह वह क्षेत्र है, जहां भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच युद्ध हुआ था, और भारत ने पाकिस्तानी कब्जे से कारगिल द्रास क्षेत्र को मुक्त कराया। इस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ विजय हासिल की और इसे इतिहास में विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। हर साल 26 जुलाई को, भारत कारगिल विजय दिवस के रूप में उन वीर सैनिकों के साहस और बलिदान को याद करता है जिन्होंने देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
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शिंकुन ला सुरंग परियोजना: लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी
इस परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग का निर्माण शामिल है, जो निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फुट की ऊंचाई पर बनेगी। यह सुरंग, जो विश्व की सबसे ऊंची सुरंग होगी, लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह न केवल सशस्त्र बलों और उपकरणों की शीघ्र आवाजाही सुनिश्चित करेगी, बल्कि लद्दाख के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी प्रोत्साहित करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “26 जुलाई का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास है। हम 25वां कारगिल विजय दिवस मनाएंगे। यह उन सभी को श्रद्धांजलि देने का दिन है जो हमारे राष्ट्र की रक्षा करते हैं। मैं कारगिल युद्ध स्मारक जाऊंगा और हमारे बहादुर नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा। यह परियोजना खराब मौसम के दौरान लेह से कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।”
1999 का कारगिल युद्ध: भारतीय सेना की विजय का प्रतीक
1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था, जो भारतीय सेना की विजय का प्रतीक है। यह युद्ध मई से जुलाई 1999 के बीच जम्मू-कश्मीर राज्य के कारगिल जिले में लड़ा गया था। 1999 की शुरुआत में, पाकिस्तानी सैनिकों ने गुप्त रूप से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था।
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