यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स (यूएस चैंबर) की नई इंटरनेशनल आईपी इंडेक्स रिपोर्ट में भारत को 55 देशों में से 42वां स्थान दिया गया है। यह रिपोर्ट दुनिया की 55 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आईपी अधिकारों के संरक्षण का मूल्यांकन करती है, जो वैश्विक जीडीपी के लगभग 90 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करती है। भारत पिछले साल की रैंकिंग से नीचे खिसक गया है, जब वह 34वें स्थान पर था। इस गिरावट का मुख्य कारण आईपी प्रवर्तन और आईपी संरक्षण में निवेश की कमी के मामले में देश का खराब प्रदर्शन प्रतीत होता है।
रिपोर्ट में पेटेंट और कॉपीराइट कानूनों से लेकर आईपी प्रॉपर्टी के मोनेटाइजेशन की कैपसिटी और अंतरराष्ट्रीय समझौतों तक सब कुछ शामिल है. इस रिपोर्ट में देश के अंदर और इंटरनेशन दोनों तरह के प्रस्तवों को शामिल किया जाता है. यह बौद्धिक संपदा (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) के अधिकारों पर रिपोर्ट रखती है.
यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पैट्रिक किलब्राइड ने कहा कि भारत का आकार और इकोनॉमी प्रभाव ग्लोबल स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है और भारत आईपी ड्राइवेन इनोवेशन के माध्यम से अपनी इकोनॉमी को बदलने की मांग करने वाले देश के रूप में उभर रहा है. दुनिया के लिए भारत की इकोनॉमी आने वाले समय में एक लीडर के रूप में हो सकती है.
भारत ने सुधार के लिए उठाएं कदम
किलब्राइड ने अपने बयान में कहा कि भारत ने कॉपीराइट-उल्लंघन सामग्री के खिलाफ प्रवर्तन में सुधार के लिए कदम उठाए हैं. आईपी संपत्तियां की बेहतर समझ और यूज को बढ़ावा दिया है और इसके लिए अच्छा फ्रेमवर्क तैयार किया है. उन्होंने कहा कि भारत के लिए आईपी फ्रेमवर्क में बदलाव और नया मॉडल विकसित करना महत्वपूर्ण होगा.
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