May 17, 2025

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Indus Water Treaty

भारत का जल प्रबंधन: चिनाब नदी पर नहरों का विस्तार और नई संभावनाओं की तलाश

भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ 1960 से चली आ रही सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है, जिसके बाद से वह अपने जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग की दिशा में सक्रिय हो गया है। इसी क्रम में, चिनाब नदी पर स्थित रणबीर नहर के विस्तार की योजना पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में यह नहर लगभग 120 किलोमीटर लंबी है और 40 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड पानी प्रवाहित करती है। विस्तार के बाद इसकी क्षमता बढ़ाकर 150 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड की जा सकती है, जिससे भारत को चिनाब नदी से चार गुना अधिक पानी प्राप्त होगा।

सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद भारत की बड़ी पहल

इसके बाद से जल शक्ति मंत्रालय कई दौर की बैठकें कर चुका है, जिसमें सिंधु जल प्रणाली का पानी मोड़ने और लंबित पनबिजली परियोजनाओं पर फिर से काम में तेजी लाने पर चर्चा की गई। इस बीच, रायटर की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत चिनाब पर बनी रणबीर नहर को विस्तारित करने की तैयारी में है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर भारतीय अधिकारियों ने चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर परियोजनाओं में तेजी लाने की कवायद तेज कर दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि छह अलग-अलग सूत्रों ने यह पुष्टि की कि रणबीर नहर की लंबाई 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 120 किलोमीटर करने का प्रस्ताव है। इस नहर का निर्माण 19वीं सदी के शुरू में तत्कालीन डोगरा शासक महाराजा प्रताप सिंह ने कराया था।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने कैबिनेट सचिव को जानकारी दी है कि सिंधु जल संधि तब तक निलंबित ही रहेगी, जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और स्थायी रूप से आतंकवाद को पोषित करना बंद नहीं करता। कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन को सौंपी रिपोर्ट में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने कहा कि पहलगाम में नागरिकों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमले के बाद संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को जाने वाले पानी की धारा मोड़ने के लिए इस नदी को दोगुनी बड़ी करने में कई वर्ष का समय लगेगा। लेकिन इसके बाद भारत प्रति सेकंड 40 क्यूबिक मीटर की बजाय 150 क्यूबिक मीटर पानी प्रति सेकंड हासिल करने की स्थिति में होगा। यह नहर जम्मू के अखनूर से निकलती है और जम्मू के एक बड़े हिस्से में कृषि के लिए पानी मुहैया कराती है।