जम्मू-कश्मीर के बारामुला में सुबह-सुबह लोगों ने भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए। सीस्मोलॉजी सेंटर के मुताबिक, बारामुला में दो बार भूकंप आया। पहले भूकंप की तीव्रता 4.9 थी, जबकि दूसरे की तीव्रता 4.8 मापी गई।
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भूकंप के पीछे का विज्ञान: प्लेट्स की हलचल और फॉल्ट लाइन्स
पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स अधिक टकराती हैं, उसे फॉल्ट लाइन जोन कहा जाता है। बार-बार की टकराव से प्लेट्स के किनारे मुड़ने लगते हैं, और जब दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है, तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। इससे उत्पन्न ऊर्जा बाहर निकलने का रास्ता खोजती है, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप आता है।
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केंद्र और प्रभाव: तीव्रता और दिशा का महत्व
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है जहां प्लेटों की हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर कंपन सबसे अधिक होता है, और जैसे-जैसे दूरियों पर जाता है, इसका प्रभाव घटता जाता है। यदि रिक्टर स्केल पर भूचाल की तीव्रता 7 या उससे अधिक हो, तो 40 किलोमीटर के दायरे में झटके तेज होते हैं। हालांकि, इसका प्रभाव इस पर निर्भर करता है कि कंपन की दिशा ऊपर की ओर है या क्षेत्रीय। यदि कंपन ऊपर की दिशा में है, तो कम क्षेत्र प्रभावित होता है।
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रिक्टर स्केल: भूकंप की तीव्रता मापने का पैमाना
भूकंप की तीव्रता की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। इस स्केल पर भूचाल की तीव्रता को 1 से 9 तक के पैमाने पर मापा जाता है। भूचाल के केंद्र, जिसे एपीसेंटर कहते हैं, से इसकी तीव्रता का निर्धारण किया जाता है। धरती के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा इसी स्केल से मापी जाती है, जिससे भूकंप की भयावहता का आकलन किया जाता है।
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