फ्रांस का अत्याधुनिक फाइटर जेट एक बार फिर चर्चा में है। भारत के मित्र देश ने इसका बड़ा ऑर्डर दिया है, जिससे इसका उत्पादन तेजी से बढ़ाया जा रहा है। इस फैसले के बाद कई रक्षा विशेषज्ञ यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या राफेल, अमेरिका के F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट को टक्कर दे सकता है? इस डील के बाद अमेरिका और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह एक झटका साबित हो सकता है।
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राफेल और F-35 की तुलना
राफेल और F-35 दोनों ही आधुनिक तकनीक से लैस फाइटर जेट हैं, लेकिन इनकी क्षमताओं में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।
- राफेल: फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित यह 4.5 जनरेशन का मल्टीरोल फाइटर जेट है। यह हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमला करने में सक्षम है। इसकी स्पीड 1.8 मैक तक है और यह परमाणु हथियार भी ले जा सकता है।
- F-35: अमेरिका द्वारा निर्मित यह पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट है। इसकी स्पीड 1.6 मैक तक होती है और यह अत्याधुनिक एवियोनिक्स तथा स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस है।
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हालांकि, जहां F-35 को उन्नत स्टेल्थ तकनीक का फायदा मिलता है, वहीं राफेल की सुपीरियर डॉगफाइटिंग क्षमता, कम मेंटेनेंस और बेहतर मल्टीरोल क्षमताएं इसे एक जबरदस्त विकल्प बनाती हैं।
मित्र देश के ऑर्डर से बढ़ा प्रोडक्शन
भारत के मित्र देश, जिसकी पहचान अभी उजागर नहीं की गई है, ने राफेल का बड़ा ऑर्डर दिया है। इससे फ्रांस ने राफेल के उत्पादन में तेजी ला दी है। पहले भारत, फिर यूएई, और अब नए ऑर्डर ने राफेल की वैश्विक मांग को और मजबूत किया है। इस फैसले से अमेरिका को चिंता हो सकती है क्योंकि कई देशों ने F-35 के बजाय राफेल को तरजीह देना शुरू कर दिया है। अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो अमेरिका को अपने F-35 के लिए नई रणनीति अपनानी पड़ सकती है।
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