वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार बजट पेश करने की तैयारी में हैं। जबकि आम जनता बढ़ती महंगाई। बेरोज़गारी और घटती खपत के बीच राहत की उम्मीद कर रही है।
आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार से निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। जिससे रोज़गार के अवसरों में कमी आई है।
महंगाई के मुकाबले वेतन और मज़दूरी में वृद्धि न होने के कारण। विशेष रूप से सीमित आय वाले परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
पिछली तिमाहियों में कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन ने हालात और जटिल कर दिए हैं। जिससे नौकरी की तलाश में लगे युवाओं को पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं।
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बजट 2025: निर्मला सीतारमण से इन क्षेत्रों में राहत की उम्मीद
इन कारणों से मध्य वर्ग ने खर्चों में कटौती की है। जिससे हालिया महीनों में उपभोग घटा है। एक फरवरी के बजट में लोग इन पांच क्षेत्रों में राहत की उम्मीद कर रहे हैं।
1. महंगाई
सब्जियों। खाद्य तेलों और दूध की कीमतें बढ़ने से घरेलू खर्च बढ़ा। खराब मौसम से सब्जियों की आपूर्ति घटी।
आयात शुल्क बढ़ने से खाद्य तेल महंगा हुआ। उत्पादन लागत से दूध के दाम बढ़े। अमूल ने 25 जनवरी को एक रुपये की कटौती की।
अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा। “ट्रंप की नीतियों से अनिश्चितता बढ़ी। टैक्स में कटौती से घरेलू उद्योग प्रभावित होंगे। टैरिफ लगने से महंगाई और बढ़ेगी।”
2.आर्थिक स्लो डाउन
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2024-24 में 6.4% रहने का अनुमान है। यह महामारी के बाद सबसे कम है। चुनावी वर्ष में पूंजीगत खर्च में कमी को स्लोडाउन का कारण माना जा रहा है।
आधारभूत ढांचे में खर्च बढ़ने से उद्योगों में तेजी आती है। इससे नौकरियां सृजित होती हैं।
अरुण कुमार के अनुसार, असंगठित क्षेत्र में वेतन और महंगाई की वजह से मांग में कमी हो रही है।
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3.नौकरियों के घटते मौके
रोज़गार सृजन धीमा पड़ा है और सरकार से उपायों की उम्मीद है। कोविड के दौरान प्रवासी मजदूरों की संख्या बढ़ी, लेकिन वापसी नहीं हो पाई।
संगठित क्षेत्र में सुधार है, लेकिन असंगठित क्षेत्र में गैप है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, छोटे उद्योगों के लिए सरकारी मदद बढ़ानी चाहिए।
4.वेतन में धीमी वृद्धि
उपभोग में कमी मजदूरों और मध्यम आय वालों के वेतन वृद्धि की धीमी रफ्तार के कारण है।
प्रोफ़ेसर अरुण कुमार कहते हैं, “महंगाई के मुकाबले वेतन नहीं बढ़े।”
ब्रिटानिया रिपोर्ट में दिहाड़ी मजदूरों की आमदनी 3.4% और वेतन पाने वालों की सैलरी 6.5% बढ़ी।
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5.इनकम टैक्स
आम आदमी के लिए टैक्स का बोझ भारी है। जीएसटी पर काउंसिल निर्णय लेती है। जबकि इनकम टैक्स पर सरकार का फैसला होता है।
सरकार से इन शुल्कों को तर्कसंगत बनाने की उम्मीद है।
मध्य वर्ग आयकर में छूट की मांग कर रहा है। अरविंद केजरीवाल ने 10 लाख रुपये तक छूट की मांग की है।
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