November 22, 2024

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हाईकोर्ट

देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में छात्र निलंबित, हाईकोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार

कोर्ट ने याचिका की सुनवाई को गर्मियों की छुट्टियों के बाद 18 जून के लिए निर्धारित कर दिया। पीड़ित छात्र के वकील मिहिर देसाई ने कोर्ट को सूचित किया कि छात्र की छात्रवृत्ति भी रोक दी गई है, जिससे उसे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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टाटा इंस्टीट्यूट के छात्र की याचिका पर जल्द सुनवाई से हाईकोर्ट का इनकार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के पीएचडी छात्र रामदास केएस की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। TISS ने रामदास को गलत आचरण और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दो साल के लिए निलंबित कर दिया था, जिसके खिलाफ छात्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

जस्टिस आरिफ डॉक्टर और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन की अवकाश पीठ ने छात्र की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला इंतजार कर सकता है और इसमें कोई आपात स्थिति नहीं है। इसके बाद, कोर्ट ने याचिका को गर्मियों की छुट्टियों के बाद 18 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

छात्र के वकील मिहिर देसाई ने कोर्ट को बताया कि पीड़ित छात्र की छात्रवृत्ति भी रोक दी गई है, जिससे उसे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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टीआईएसएस का हलफनामा और कोर्ट का फैसला

अपने हलफनामे में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने कहा कि छात्र रामदास केएस के पास अभी वैकल्पिक रास्ता है और उसकी याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए। हलफनामे में बताया गया कि छात्र के गलत आचरण की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था, जिसने अपनी जांच के बाद छात्र को दो साल के लिए निलंबित करने का निर्णय लिया। समिति की रिपोर्ट के बाद छात्र के पास कुलपति के पास अपील करने का विकल्प था, लेकिन उसने सीधे हाईकोर्ट में अपील की। इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई को टाल दिया।

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छात्र पर राजनीतिक दबाव का आरोप

संस्थान ने अपने हलफनामे में कहा कि छात्र रामदास केएस के निलंबन के बाद राजनीतिक पार्टियों और संगठनों के लोग संपर्क कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर संस्थान के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। संस्थान का दावा है कि रामदास अपने राजनीतिक संपर्कों का उपयोग कर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। संस्थान ने आरोप लगाया कि रामदास ने नियमों का उल्लंघन किया, जिसमें जनवरी में एक सरकार विरोधी मार्च में हिस्सा लेना और राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री देखने की अपील शामिल है। रामदास ने इन आरोपों को खारिज करते हुए निलंबन को अवैध बताया और कहा कि इसी वजह से छात्र उसके समर्थन में आ रहे हैं।

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