November 23, 2024

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Ambedkar Jayanti

डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती मनाने के पीछे है बहुत खास वजह

संविधान निर्माता, दलितों के रक्षक और मानवाधिकार आंदोलन के महान विद्वान बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्मोत्सव हर वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाता है। डॉ अंबेडकर के जन्मदिन के अवसर पर हम जन कल्याण में उनके अभूतपूर्व योगदान को याद करते हैं। बाबा साहेब निम्न वर्ग के थे। वे कम उम्र से ही सामाजिक भेदभाव के शिकार थे। इसलिए समाज सुधारक बाबा भीमराव अंबेडकर जीवन भर कमजोरों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे। सशक्त महिलाएँ। इस साल बाबा भीमराव अंबेडकर की 132वीं जयंती मनाई जाएगी। आइए जानते हैं बाबा भीमराव अंबेडकर के इतिहास के बारे में रोचक बातें।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का इतिहास

14 अप्रैल 1981 को मध्यप्रदेश के महू में रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई ने अपनी सबसे छोटी संतान को जन्म दिया, जिसका नाम था भिवा रामजी अंबेडकर. बाबासाहेब के नाम से पहचाने जाने वाले आंबेडकर अपने 14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। डॉ. अंबेडकर अछूत माने जानी वाली जाती महार के थे। ऐसे में वह बचपन से उन्हें भेदभाव और समाजिक दुराव से गुजरना पड़ा।

बाबा साहेब अंबेडकर की उपलब्धि

बालपन से ही बाबासाहेब मेधावी छात्र थे। स्कूल में पढ़ाई में काबिल होने के बावजूद उनसे अछूत की तरह व्यवहार किया जाता था. उस दौर में छुआछूत जैसी समस्याएं व्याप्त होने के कारण उनकी शुरुआती शिक्षा में काफी परेशानी आई, लेकिन उन्होंने जात पात की जंजीरों को तोड़ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और स्कूली शिक्षा पूरी की।

1913 में अंबेडकर ने अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से लॉ, इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस में डिग्री प्राप्त की। उन्होंने भारत में लेबर पार्टी का गठन किया, आजादी के बाद कानून मंत्री बने। दो बार राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए बाबा साहेब संविधान समिति के अध्यक्ष रहे। समाज में समानता की अलख जलाने वाले अंबेडकर को 1990 में भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया।

क्यों मनाई जाती है डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कमजोर और पिछड़ा वर्ग को समान अधिकार दिलाने, जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध कर समाज में सुधार लाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। यही वजह है कि बाबा साहेब की जयंती को भारत में जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने, समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध कर समाज में सुधार लाने का काम किया है।