October 2, 2024

News , Article

गेहूं की फसल पर मौसम की मार

मौसम की मार इस बार गेहूं की फसल पर पड़ी है। एडवांस में गर्मी पड़ने के कारण दाना सिकुड़ने से प्रति एकड़ झाड़ में कम से कम पांच क्विंटल का अंतर आया है। पिछले साल 133.28 लाख मीट्रिक से ज्यादा गेहूं का भंडारण करने वाले पंजाब की मंडियों में अब सीजन की समाप्ति की तरफ है और अभी तक भंडारण सिर्फ 101 लाख मीट्रिक टन के करीब ही हो पाया है। पिछले साल की अपेक्षा यह 32.28 लाख मीट्रिक टन के करीब कम है। इस बार मौसम की मार के कारण का उत्पादन कम हुआ है।

मंडियों में गेहूं की आवक कम होने और खरीददारी गिरने के कारण इस सीजन में 7200 करोड़ रुपए का वित्तीय नुकसान होने की आशंका है। इस घाटे का असर मंडियों में निचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक सभी पर पड़ा है। घाटे के कारण किसान, मजदूर, आढ़ती, मंडी बोर्ड से लेकर ट्रांसपोर्टर सभी प्रभावित हुए हैं। सभी की कमाई इस बार घटी है।

7200 करोड़ रुपए का नुकसान

एक क्विंटल गेहूं के किसान को 2,015 रुपए, पंजाब मंडी बोर्ड को 121 रुपए, एक आढ़ती को 45.83 रुपए, एक मजदूर को 24.58 रुपए और एक ट्रांसपोर्टर को 27.81 रुपए भंडारण के लिए मिलते हैं। मंडी बोर्ड के अधिकरियों के अनुसार इस बार मंडियों में की कमी के कारण करीब 7200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

गेहूं की खेती का रकबा भी 2021 के मुकाबले कम रहा

इस साल गेहूं की खेती का रकबा भी 2021 के मुकाबले कम रहा है। पिछले साल गेहूं का रकबा 35.14 लाख हेक्टेयर था जो इस साल 35.02 लाख हेक्टेयर रहा। 2008 के बाद यह दूसरा मौका है जब गेहूं की पैदावार में इतनी बड़ी गिरावट दिखाई पड़ रही है। साल 2008 में बड़ी गिरावट के कारण तत्कालीन केंद्र सरकार ने प्राइवेट खरीद पर पूरी तरह से पाबंदी

लगा दी थी लेकिन बाद में बड़ी कंपनियों के दबाव में केंद्र सरकार ने केवल 25

हजार टन गेहूं खरीदने की इजाजत दी थी।

पांच क्विंटल की गिरावट

राज्य के कृषि विभाग द्वारा हाल ही में किए गए फसल कटाई आंकड़ों के अनुसार, गेहूं की उपज में प्रति

हेक्टेयर औसतन पांच क्विंटल की गिरावट आई है। राज्य में पिछले साल 48.68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं की पैदावार हुई

थी। पिछले साल पंजाब का कुल गेहूं उत्पादन लगभग 171 लाख टन था। इस वजह से जो 132

लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया था वह भी काफी पीछे छूट गया है।

मंडियों में गेंहूं कम पहुंचने के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है कि बहुत सारे किसानों ने

इस बार अपनी फसल मंडियों में बेचने के बजाय उसका भंडारण अपने स्तर पर किया है। किसानों का मानना

है कि वह ऑफ सीजन में भंडारण की गई गेंहूं को फिर निजी कंपनियों को महंगे दामों पर बेचेंगे