September 9, 2024

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Hathras Stampede

हाथरस भगदड़ की जांच संबंधी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, और जस्टिस मनोज मिश्रा की एक पीठ आज हाथरस भगदड़ की जांच के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करेगी। इस याचिका में अधिवक्ता विशाल तिवारी ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस घटना पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों और अन्य लोगों के खिलाफ उनकी लापरवाही के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।

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याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की जाए, जो हाथरस भगदड़ की गहराई से जांच कर सके। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा। यह सुनवाई 2 जुलाई को हुई भगदड़ की घटना के संदर्भ में की जा रही है, जिसमें 121 लोगों की जान चली गई थी। पीठ 12 जुलाई को इस पर विस्तार से विचार करेगी।

भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध

विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार को घटना के बारे में पूरी जानकारी देने और उसमें शामिल अधिकारियों, कर्मचारियों और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश देने की मांग की गई है। इसके अलावा, याचिका में राज्यों को किसी भी धार्मिक या अन्य आयोजनों में जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।

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यह घटना 2 जुलाई को हाथरस जिले के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में घटी थी। उस दिन साकार विश्वहरि बाबा उर्फ भोले बाबा का सत्संग शुरू हुआ था। इस सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति थी। लेकिन आयोजन स्थल पर 2.50 लाख से अधिक लोग इकट्ठा हो गए। सत्संग समाप्ति की घोषणा के साथ ही बाबा की निजी आर्मी ने व्यवस्था संभालने का प्रयास किया। लेकिन भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त प्रबंध नहीं थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, बाबा का काफिला निकलने के दौरान अनुयायी अनियंत्रित हो गए। चरणों की रज लेने के लिए भगदड़ मच गई। भगदड़ के दौरान लोग अपनी जान गंवाते रहे। बाबा के सहयोगी गाड़ियों से भागते रहे। किसी ने भी रुककर हालात को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं किया।

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यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है, जो इस घटना की जांच और संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय ले सकता है।

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