चीन एशिया समेत दुनिया के अन्य देशों में तेजी से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। हाल ही में प्रशांत महासागर के छोटे से द्वीपीय देश सोलोमन में चीन के सैन्य बेस बनाए जाने की जानकारी सामने आई। इससे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की चिंता बढ़ गई है।
सोलोमन आईलैंड से निकलने वाली एक ग्वाडल कैनाल प्रशांत महासागर से ऑस्ट्रेलिया होते हुए न्यूजीलैंड तक पहुंचती है। यही वजह है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर सबमरीन देने की घोषणा कर दी है। 27 अप्रैल को ऑस्ट्रेलिया के एक मंत्री ने चीन द्वारा सोलोमन में चीनी सेना भेजने की संभावना जाहिर की है।
सैन्य ताकत : सोलोमन द्वीप की आबादी 6.87 लाख
चीन ने पूरी प्लानिंग के तहत सोलोमन द्वीप पर सैन्य बेस बनाया है। सोलोमन द्वीप की आबादी 6.87 लाख है। चीन के पास घोषित तौर पर अफ्रीका में एक सैन्य अड्डा जिबूती में है। इसे 2017 में एक नौसैनिक सुविधा के लिए बनाया गया था। चीन का दावा है कि यह सोलोमन द्वीप में शांति और स्थिरता और व्यापार को बढ़ाने के लिए ऐसा कर रहा है।
90 पोर्ट पर चीन का कब्जा
इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चीन अपने विश्वव्यापी हितों की आड़ में एशिया और अमेरिकी
सैन्य प्रभुत्व को चुनौती देना चाहता है। फिलहाल दुनिया के 90 से अधिक बंदरगाहों पर चीन का कब्जा है
जिनका उपयोग वह जहाजों के ठहरने और कारोबार के लिए करता है, लेकिन चीन इसका उपयोग सैन्य बेस
के रूप में कर सकता है।सोलोमन आईलैंड से निकलने वाली एक ग्वाडल कैनाल प्रशांत महासागर से ऑस्ट्रेलिया होते हुए
न्यूजीलैंड तक पहुंचती है। यही वजह है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर सबमरीन देने की घोषणा
कर दी है। 27 अप्रैल को ऑस्ट्रेलिया के एक मंत्री ने चीन द्वारा सोलोमन में चीनी सेना भेजने की संभावना
जाहिर की है।
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