Demographic change: खुफिया एजेंसियों(intelligence agencies) ने सीमावर्ती क्षेत्रों में BSF की सीमा को 100 किलोमीटर तक बढ़ाए जाने की सिफारिश की है| इसके लिए गृह मंत्रालय को असम और यूपी पुलिस ने रिपोर्ट भेजी है| इस रिपोर्ट के मुताबिक सीमावर्ती इलाकों में तेजी से एक खास समुदाय की आबादी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है|
Demographic change in Border Areas:
खुफिया एजेंसियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अप्रत्याशित जनसांख्यिकीय परिवर्तन (Unexpected Demographic Changes) के कारण सीमा सुरक्षा बल (BSF) की सीमा को 100 किलोमीटर तक बढ़ाने की सिफारिश की है. रिपोर्टों के अनुसार, सीमावर्ती क्षेत्रों में एक खास समुदाय की आबादी में लगभग 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक मानी जा रही है. ग्राम पंचायतों के नवीनतम रिकॉर्ड के आधार पर, उत्तर प्रदेश और असम की पुलिस ने नेपाल और बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले दस वर्षों में जनसांख्यिकी में बदलाव को दर्शाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को अलग-अलग रिपोर्ट भेजी है.
सीमावर्ती जिलों में तेजी से बढ़ रही खास समुदाय की आबादी
रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से सीमावर्ती जिलों में एक खास समुदाय के लोगों की आबादी में लगभग 32% की वृद्धि हुई है. इसके विपरीत, देश भर में जनसंख्या परिवर्तन कहीं न कहीं 10% से 15% के बीच रहा है. सुरक्षा एजेंसियों और राज्य पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में जनसांख्यिकीय परिवर्तन को बहुत संवेदनशील बताया है. इसलिए असम और यूपी दोनों ने सिफारिश की है कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का दायरा वर्तमान 50 किलोमीटर से बढ़ाकर 100 किलोमीटर किया जाना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो बीएसएफ के पास अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर तक के इलाकों में तलाशी और जांच का अधिकार होगा.
पंजाब में भी है यही हाल
बता दें कि जिन राज्यों ने इसका विरोध किया था, जिसमें पंजाब भी शामिल है. इन राज्यों में भी यह बदलाव काफी ज्यादा देखा गया है. सूत्रों के अनुसार पंजाब के बॉर्डर एरिया के आसपास में एक खास समुदाय के लोगों के 35 फीसदी से ज्यादा लोगों की बसने की रिपोर्ट गृह मंत्रालय के पास है.
BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने की मांग
गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में, बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में 15 KM से 50 KM तक की वृद्धि की अधिसूचना के बाद, इसके कारणों की व्याख्या की गई थी. सीमावर्ती राज्यों में अधिक जनसांख्यिकीय असंतुलन केंद्र के फैसले के पीछे प्रमुख कारणों में से एक था. सूत्रों के मुताबिक केंद्र को दी गई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि इनपुट के अनुसार समय के साथ पश्चिम बंगाल और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में जनसांख्यिकीय संतुलन काफी ज्यादा गड़बड़ा गया है. बीएसएफ द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन की पुष्टि की है. भारत सरकार द्वारा पंजाब, असम और पश्चिम बंगाल में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किमी से बढ़ाकर 50 किमी करने के पीछे संभावित कारणों में से एक यह बीएसएफ की रिपोर्ट थी. रिपोर्ट में इस बात को लिखा गया था की भारत को बड़े पैमाने पर घुसपैठ का सामना कर रहा है, असम हो या पश्चिम बंगाल, जनसांख्यिकीय संतुलन काफी हद तक गड़बड़ा गया है. जनसांख्यिकीय में इसी तरह का बदलाव पंजाब, उत्तराखंड और गुजरात में भी दर्ज किया गया है. 2018 में भी बीएसएफ द्वारा राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के बारे में एक गंभीर रिपोर्ट दी गई थी.
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