बाबा साहेब अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन वंचितों और दलितों के अधिकारों और उनके उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उन्हें दुनिया भर में उन लोगों की आवाज के रूप में जाना जाता है, जिनके लिए कोई और बोलने को तैयार नहीं था। उन्होंने जीवनभर संघर्ष किया और भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। अंबेडकर जयंती के अवसर पर देशभर में लोग उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने इस मौके पर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की।
देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर संसद परिसर में प्रेरणा स्थल पर डॉ. बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भीम राव अंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए सोमवार को कहा कि बाबा साहेब की प्रेरणा के कारण ही देश आज सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने के लिए समर्पित है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि अंबेडकर के सिद्धांत और विचार ‘आत्मनिर्भर’ एवं विकसित भारत के निर्माण को मजबूत और तेज करेंगे.
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बाबा साहेब की जयंती पर नेताओं ने किया नमन, पीएम मोदी और खरगे ने बताए उनके आदर्शों का महत्व
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘सभी देशवासियों की ओर से भारत रत्न पूज्य बाबासाहेब को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन. यह उन्हीं की प्रेरणा है कि देश आज सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने में समर्पित भाव से जुटा हुआ है. उनके सिद्धांत एवं आदर्श आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण को मजबूती और गति देने वाले हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बाबा साहेब डॉ अंबेडकर ने हम देशवासियों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित — भारत का संविधान — दिया जो सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए सबसे शक्तिशाली औज़ार है. उन्होंने देश की प्रगति व एकता के लिए समावेशिता को अपना परम कर्तव्य बताया और सभी के अधिकारों की रक्षा करने पर पुरज़ोर बल दिया.
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उनकी 135 वीं जयंती पर हम सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक न्याय के उनके विचारों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता पुनः दोहराते हैं. कांग्रेस पार्टी ये शपथ लेती है कि हम संविधानिक मूल्यों की रक्षा व लोकतंत्र की सुरक्षा के लिये हमेशा प्रतिबद्ध रहेंगे. बाबा साहेब अंबेडकर को अनुसूचित जातियों के सशक्तीकरण के लिए उनके आजीवन संघर्ष और संविधान का मसौदा तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है. दलित परिवार में 1891 में जन्मे आंबेडकर एक प्रतिभाशाली छात्र थे, जो विदेश में अध्ययन करने गए थे. भारतीय समाज में उनके द्वारा झेले गए भेदभाव ने उन्हें एक प्रतिबद्ध समाज सुधारक बना दिया. वह भारत के पहले कानून मंत्री थे और 1956 में उनका निधन हो गया.
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