मालदीव ने भारतीय सैनिकों को बाहर निकाल दिया है। गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने इसका खुलासा किया। रणधीर जायसवाल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, ने कहा, “हम इस मुद्दे पर काफी समय से मालदीव के साथ संपर्क में थे। बहुत से सैनिक पहले से ही वापस आ गए हैं।”
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मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर, जो भारत के दौरे पर था, ने कहा, “भारत-मालदीव के बीच रक्षा सहयोग सैनिकों की मौजूदगी से कहीं ज्यादा है। अब आम लोग मालदीव में भारतीय सैनिकों की जिम्मेदारी करेंगे। भारत, मालदीव और श्रीलंका की सेनाओं ने मिलकर युद्धाभ्यास किया है। यह जारी रहेगा।” मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने तीन दिन पहले बताया था कि 51 भारतीय सैनिक मालदीव में दो प्लेटफॉर्म्स पर थे और वे वापस भारत लौट गए हैं। 10 मई तक बाकी सैनिक भी भारत लौटेंगे।
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भारतीय सेना का मालदीव में मानवीय सहायता और इमरजेंसी ऑपरेशन
मालदीव में लगभग ८८ भारतीय सैनिक तैनात हैं। ये एक एयरक्राफ्ट और दो हेलिकॉप्टर का नियंत्रण करते हैं। रेस्क्यू या सरकारी कामों में अक्सर इस्तेमाल किया जाता है। मालदीव में भारतीय हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट मानवीय सहायता और मेडिकल इमरजेंसी सेवाओं में वहां के लोगों की मदद करते रहें।
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इन ऑपरेशनों को नियंत्रित करने के लिए ही टेक्निकल स्टाफ नियुक्त किया गया है।2010 और 2013 में भारत ने दो हेलिकॉप्टर और 2020 में एक छोटा विमान मालदीव को दिया था। मालदीव में इस पर बहुत बहस हुई। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति लागू करने का आरोप लगाया।
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मालदीव के राष्ट्रपति ने भारतीय सैनिकों के वापस लौटने की बात की
जनवरी की शुरुआत में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में मुइज्जू ने कहा कि मालदीव के लोगों ने इस साल के राष्ट्रपति चुनावों में साफ कर दिया था कि वे विदेशी सैनिकों की मौजूदगी नहीं चाहते हैं. देश में। लेकिन भारत ही अपने सैनिकों को यहां रखता है। मालदीवियों की इच्छा को देखते हुए मैंने भारत से अपने सैनिकों को हटाने की मांग की है। भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश, मालदीव के लोगों की इच्छा का सम्मान करेगा, मुझे पूरा भरोसा है। हमारे द्विपक्षीय रिश्ते इतने मजबूत हैं कि दोनों देश बातचीत करके इस मुद्दे को हल कर सकते हैं, मेरा मत है।
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