आर्थिक तौर पर दिवालिया हो चुके श्रीलंका में नया राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान शुरू हो गया है। पार्लियामेंट में 44 साल बाद सीक्रेट वोटिंग हो रही है। यानी 1978 के बाद पहली बार देश में जनादेश के माध्यम से नहीं, बल्कि राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों के सीक्रेट वोट के माध्यम से हो रहा है। इसके बाद स्पीकर नए प्रेसिडेंट के नाम का ऐलान करेंगे। कुछ रिपोर्ट्स बता रही हैं कि देश को नए राष्ट्रपति के साथ ही नया प्रधानमंत्री भी मिलने जा रहा है।
दरअसल, बहुत गौर से देखें तो सच्चाई सामने आती है। और वो ये कि सत्ता की जिस बंदरबांट ने श्रीलंका को इन हालात में पहुंचाया, वही स्थिति अब भी है। माना जा रहा है कि दुलस अल्हाप्परुमा नए राष्ट्रपति बन सकते हैं। नए प्रधानमंत्री के तौर पर सजिथ प्रेमदासा कुर्सी संभाल सकते हैं। कुल मिलाकर श्रीलंकाई नेता एक बार फिर वही ‘मैच फिक्सिंग’ करने जा रहे हैं, जिसके चलते देश इस बदतरीन दौर तक पहुंचा।
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