मास्टरकार्ड के पूर्व सीईओ और भारतीय मूल के अजय बंगा को विश्व बैंक का अगला अध्यक्ष चुना गया है, जिससे वह संगठन के पहले एशियाई मूल के अध्यक्ष बन गए हैं. 25 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड ने बुधवार को बंगा को निर्विरोध चुना और वह 2 जून, 2023 को पांच साल के कार्यकाल के लिए अपना पद ग्रहण करेंगे. बंगा के पास वित्तीय और विकास कार्यों का व्यापक अनुभव है, लेकिन उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में एक महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना पड़ेगा. विश्व बैंक के वर्तमान अध्यक्ष डेविड मलपास ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ने की घोषणा की थी.
जो बाइडेन ने पद के लिए किया था नॉमिनेट
डेविड मलपास के पद छोड़ने के ऐलान के बाद अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन (President Joe Biden) ने अजय बंगा को फरवरी में विश्व बैंक के अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेट कर दिया था. इसके बाद से ही अजय बंगा का वर्ल्ड बैंक का प्रेसिडेंट बनना लगभग तय माना जा रहा था क्योंकि उनके सामने किसी और व्यक्ति ने उम्मीदवारी पेश नहीं की. उन्हें नॉमिनेट करते वक्त जो बाइडन ने कहा था कि बंगा के पास जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से सामना करने का अच्छा खासा अनुभव है. ऐसे में वह इसके लिए पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर से संसाधन जुटाने में सक्षम हैं.
भारत से रिश्ता
भारत अजय बंगा की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. उनका पूरा नाम है अजयपाल सिंह बंगा (Ajaypal Singh Banga). अजय बंगा का जन्म भारत के महाराष्ट्र के पुणे में 10 नवंबर 1959 को हुआ था. उनके पिता भारतीय सेना में हरभजन सिंह बंगा सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रहे हैं. उनका परिवार मूल रूप से पंजाब के जालंधर का रहने वाले है. बंगा को साल 2007 में अमेरिकी नागरिकता मिल गई थी. उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है. इसके बाद IIM अहमदाबाद से एमबीए की पढ़ाई पूरी की है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1980 में नेस्ले इंडिया के साथ की थी. वह 10 वर्ष से अधिक तक मास्टरकार्ड के सीईओ पद पर कार्यरत रहे. इसके साथ ही वह अमेरिकन रेड क्रॉस, क्राफ्ट फूड जैसी कई कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल रहे हैं. वह प्राइवेट इक्विटी फर्म जनरल अटलांटिक के वाइस चेयरमैन भी रहे हैं.
पद्मश्री
वित्तीय क्षेत्र में अपने योगदान के लिए भारत सरकार ने अजय बंगा को साल 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया था. वह 2 जून, 2023 को वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यभार को संभालेंगे. उनके सामने कई नई चुनौतियां शामिल है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है जलवायु परिवर्तन के प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी को बढ़ाना.
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