July 6, 2024

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दुनिया के सबसे अकेले शख्स की मौत:8 हजार हेक्टेयर जमीन का अकेला वारिस, 26 साल से जंगल में रहता था गुमनाम

अमेजन के घने जंगलों के बीचों-बीच एक झोपड़ी है। 23 अगस्त को ब्राजील की एजेंसी फुनाई जब वहां पहुंची, तो झोपड़ी के बाहर झूले पर एक शख्स की लाश मिली। जो पिछले 26 सालों से यहां अकेले रहा करता था और अपनी जनजाति का एकमात्र वारिस था। उसकी मौत के साथ ही वो जनजाति और उसका कल्चर भी खत्म हो गया।

उसके पास 8,000 हेक्टेयर जमीन थी। 26 साल पहले उसके परिवार के सभी लोगों को रैंचर्स ने मार दिया था। रैंचर्स खेती और पशुपालन करने वाले बड़े किसानों को कहते हैं।

अपने इलाके में बड़े-बड़े गड्ढे बनाता था:

इस शख्स का नाम क्या था, यह कोई नहीं जानता। इसे ‘द मैन ऑफ द होल‘ (गड्डों का आदमी) कहा जाता था। उसे यह नाम इसलिए दिया गया था, क्योंकि उसने अपने रहने के लिए इलाके में कई बड़े-बड़े गड्डे किए थे। उसको यह नाम भी फुनाई ने ही दिया था। फुनाई ब्राजील में मूल निवासी जनजातियों को बचाने के लिए काम करने वाली एजेंसी है।

फुनाई के अधिकारी कहते हैं कि उसकी उम्र के बारे में सही जानकारी तो किसी को नहीं है, लेकिन अनुमान लगाया जाए तो वो तकरीबन 60 साल का होगा।

‘द मैन ऑफ द होल’ जानवरों को पकड़ने या अपने छुपने के लिए गड्डे खोदा करता था।

DNA टेस्ट के बाद जंगल में ही दफन:

फुनाई ने शनिवार को जारी किए अपने बयान में कहा कि इसकी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई होगी। हालांकि, उन्होंने क्रिमिनिल एक्सपर्ट्स को झोपड़ी और आस-पास के इलाकों की तलाशी लेने के लिए भेज दिया है। साथ ही पोस्टमार्टम के लिए उसके शरीर को राजधानी ब्रासीलिया भेजा गया है। एजेंसी DNA टेस्ट करेगी। इसके बाद उसे वापस जंगल में दफना दिया जाएगा।

‘द मैन ऑफ द होल’ इसी झोपड़ी में रहा करता था। वह मक्के की खेती भी करता था।

पंखों से ढका था पूरा शव:

मूलनिवासी विशेषज्ञ मार्सेलो डॉस सैंटोस ने उसकी फोटो देख कर बताया कि आदमी का शरीर पंखों से ढका हुआ था। हालांकि इसकी वजह नहीं पता, क्योंकि उसकी किसी से बातचीत नहीं होती थी। अपनी तरह की दूसरी जनजातियों के लोगों से भी नहीं।

पहली बार रिकॉर्ड की गई विलुप्त होती प्रजाति:

ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी जनजाति के विलुप्त होने की घटना को रिकॉर्ड किया गया हो। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी कई जनजातियां हैं, जिनका दुनिया से कोई कॉन्टैक्ट नहीं हैं। फुनाई को कम-से-कम 114 ऐसी जनजातियों के सबूत मिले हैं, जो बाहरी दुनिया से अलग-थलग रहती हैं। इनमें से 28 की मौजदूगी ही पक्के तौर पर कही जा सकती है। इसके चलते, बाकी 86 जनजातियों को सरकार की तरफ से किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी जाती है।

अमेजन के जंगलों में जब जनजातियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फुनाई के लोगों पर हमला बोल दिया।