ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने बुधवार को प्रेस्वू नामक आई ड्रॉप के मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग लाइसेंस को रद्द कर दिया है। यह आई ड्रॉप मुंबई की दवा निर्माता कंपनी एंटोड फार्मास्यूटिकल्स द्वारा बनाया गया था। कंपनी ने दावा किया था कि यह ड्रॉप प्रेसबायोपिया (उम्र बढ़ने के साथ नजदीकी दृष्टि कमजोर होने) से ग्रस्त लोगों को लाभ पहुंचाता है। इसे आंखों में डालने के बाद चश्मे की आवश्यकता नहीं होगी और बिना चश्मे के भी आसानी से किताबें पढ़ी जा सकेंगी।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने प्रेस्वू आई ड्रॉप को डॉक्टर की सलाह पर इस्तेमाल की शर्त के साथ मंजूरी दी थी, लेकिन कंपनी पर बिना प्रिस्क्रिप्शन के प्रचार करने का आरोप है। यह आई ड्रॉप अक्टूबर में बाजार में आने वाली थी।
DCGI बोली- दवा का गलत प्रचार किया जा रहा है
DCGI ने बताया कंपनी इसका प्रचार OTC (ओवर द काउंटर) बताकर किया जा रहा था। OTC दवाइयां वो होती हैं, जिन्हें बिना किसी डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के खरीदा जा सकता है।
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दवा कंपनी बोली- ऑर्डर को कोर्ट में चुनौती देंगे
एंटोड फार्मास्यूटिकल्स का कहना है कि उन्होंने प्रचार में कोई भ्रामक जानकारी नहीं दी और DCGI ने दवा को मंजूरी दी थी। कंपनी ने 234 मरीजों पर सफल परीक्षण किया, जिसमें आई ड्रॉप इस्तेमाल करने वाले बिना चश्मे के पढ़ने में सक्षम थे। यह पास की नजर को बेहतर करने का, नजदीक की चीजों को स्पष्ट देखने का सिर्फ अस्थायी तरीका है। इसे डालने से न चश्मा हमेशा के लिए उतर जाता है और न ही आंखों का नंबर कम होता है।
अमेरिका और यूरोप में पहले से ही ऐसी आई ड्रॉप्स उपलब्ध हैं जो कुछ समय के लिए नजदीक की नजर साफ करती हैं, लेकिन स्थायी उपयोग की अनुमति कहीं भी नहीं है, और डॉक्टर भी इसकी सिफारिश नहीं करते। इसके इस्तेमाल से आंखें लाल हो सकती हैं, कई बार सिर में दर्द या चक्कर जैसा महसूस हो सकता है। चूंकि यह दवा आंखों की पुतलियों को छोटा करती है तो लंबे समय तक लगातार इसके इस्तेमाल से आंखों की पुतलियों का आकार परमानेंट छोटा भी हो सकता है।
इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि रात में इस दवा को डालने के बाद देखने में परेशानी हो सकती है।
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