ICMR के एक स्टडी के मुताबिक इस वक्त भारत में 101 मिलियन से अधिक लोग डायबिटीज के शिकार हो चुके हैं. जबकि साल 2019 में यह आंकड़ा 70 मिलियन के करीब था. स्टडी में बताया गया कि कुछ राज्यों में आंकड़े स्थिर हो गए हैं. वहीं कई राज्यों में तेजी से बढ़ रहे हैं. स्टडी में बताया गया है कि जिन राज्यों में तेजी से डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं, वहां इसे रोकने की बहुत जरूरत है.
136 मिलियन लोग, यानी कि 15.3 फीसदी लोग आबादी को प्रीडायबिटीज है. गोवा (26.4%), पुडुचेरी (26.3%) और केरल (25.5%) में डायबिटीज का सबसे उच्चतम प्रसार देखा गया. डायबिटीज का राष्ट्रीय औसत 11.4 फीसदी है. हालांकि स्टडी अगले कुछ वर्षों में यूपी, एमपी, बिहार और अरुणाचल प्रदेश जैसे कम प्रसार वाले राज्यों में डायबिटीज के मामलों के विस्फोट की चेतावनी देता है.
मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष और अध्ययन के पहले लेखक डॉ रंजीत मोहन अंजना ने कहा, “गोवा, केरल, तमिलनाडु और चंडीगढ़ में मधुमेह के मामलों की तुलना में प्री-डायबिटीज के मामले कम हैं. पुडुचेरी और दिल्ली में, वे लगभग बराबर हैं और इसलिए हम कह सकते हैं कि बीमारी स्थिर हो रही है.” लेकिन मधुमेह के कम मामलों वाले राज्यों में, वैज्ञानिकों ने प्री-डायबिटीज वाले लोगों की संख्या अधिक दर्ज की है. उदाहरण के लिए, यूपी में मधुमेह का प्रसार 4.8% है, जो देश में सबसे कम है, लेकिन राष्ट्रीय औसत 15.3% की तुलना में 18% प्री-डायबिटिक हैं.
उन्होंने कहा, “यूपी में मधुमेह वाले प्रत्येक व्यक्ति के मुकाबले प्री-डायबिटीज वाले लगभग चार लोग हैं. इसका मतलब है कि ये लोग जल्द ही मधुमेह रोगी बन जाएंगे. मध्य प्रदेश में, डायबिटीज के एक तो प्री-डायबिटीज के तीन लोग हैं. वहीं “सिक्किम एक अपवाद की तरह है, जहां मधुमेह और पूर्व-मधुमेह दोनों का प्रसार अधिक है. हमें कारणों का अध्ययन करना चाहिए.” इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के समर्थन से डॉ. मोहन के मधुमेह विशेषज्ञ केंद्र द्वारा संचालित अध्ययन 31 राज्यों के 113,000 लोगों पर आधारित था.
More Stories
Kharge Claims Modi Government Sending 15,000 Indian Workers to Israel Amid Ongoing Conflict
Telangana Minister Claims KTR Behind KCR’s ‘Disappearance’
मंत्रालय की तीसरी मंजिल से कूदे डिप्टी स्पीकर नरहरी झिरवल, सुरक्षा जाली पर फंसे