November 22, 2024

News , Article

WHO

डब्ल्यूएचओ ने भारत समेत 16 देशों में जानलेवा रोगाणुओं की दी चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाइपर विरुलेंट क्लेबसिएला निमोनिया (एचवीकेपी) नामक एक नए रोगाणु को लेकर सभी देशों को चेतावनी जारी की है। यह रोगाणु स्वस्थ व्यक्तियों में जानलेवा संक्रमण पैदा कर सकता है और यह संक्रमण अस्पताल में भर्ती मरीजों या सामान्य आबादी में फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ ने 127 देशों से जानकारी एकत्र करने के बाद यह खुलासा किया है। 43 देशों से मिली जानकारी में 16 देशों में एचवीकेपी रोगाणु के मामले पाए गए हैं, जिनमें भारत भी शामिल है। अब तक, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कंबोडिया, हांगकांग, भारत, ईरान, जापान, ओमान, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड के अलावा अमेरिका में एचवीकेपी के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, 12 देशों में इस रोगाणु का नया स्ट्रेन एसटी 23-के1 भी पाया गया है, जिसमें भारत, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ईरान, जापान, ओमान, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।

Also read: भारतीय ऑटो कंपनियां जल्द ही बनाएंगी 100% इथेनॉल से चलने वाले वाहन: नितिन गडकरी

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी और सलाह

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अभी तक किसी भी देश ने एचवीकेपी रोगाणु पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है, और ज्यादातर डॉक्टर इसके नैदानिक परीक्षण और उपचार के बारे में अनभिज्ञ हैं। डॉक्टरों और प्रयोगशालाओं को इस रोगाणु को लेकर सतर्क रहना चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने सलाह दी है कि प्रयोगशाला क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ इस रोगाणु से प्रभावित क्षेत्रों का डेटा भी एकत्रित किया जाए।

Also read: अयोध्या रेप केस: सीतापुर से जुड़े दुष्कर्म कांड के तार…नेता के करतूत से पूरा गांव शर्मिंदा

भारत में एचवीकेपी पर प्रयास

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि भारत ने बताया कि 2015 से एचवीकेपी रोगाणु को पृथक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 2016 में पहली बार भारत में एक मरीज में कार्बेपनेम-प्रतिरोधी एचवीकेपी रोगाणु की पहचान हुई, जिसके बाद रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर प्रयास तेज हुए हैं। हालांकि, जिला और तहसील स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं में अभी भी इस संबंध में जानकारियों का अभाव है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए स्ट्रेन की पहचान के लिए आईसीएमआर की एक पूरी टीम काम कर रही है।

Also Read: बांग्लादेश में अब तक कम से कम 300 लोगों की मौत, पूरे देश में लगा कर्फ्यू

अस्पतालों में क्लेबसिएला निमोनिया की चुनौती

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अस्पतालों में भर्ती मरीजों में क्लेबसिएला निमोनिया का संक्रमण होना आम है, जिसमें दो स्वरूप हैं: हाइपर विरुलेंट क्लेबसिएला निमोनिया (एचवीकेपी) और क्लासिक के. निमोनिया (सीकेपी)। वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि प्रयोगशालाएं इन दोनों के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं। जब कोई मरीज कार्बेपनेम-प्रतिरोधी क्लेबसिएला निमोनिया से संक्रमित होता है और उसमें हाइपर विरुलेंट स्ट्रेन भी होता है, तो उसकी जान का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।

Also Read: Paris Olympics 2024: मनु भाकर ओलंपिक समापन समारोह में होंगी भारत की ध्वजवाहक