वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। सरकार हेल्थ सेक्टर पर ध्यान केंद्रित कर रही है, और विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार हेल्थ सेक्टर के लिए आवंटन 10 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, मेडिकल डिवाइसेज पर एक समान जीएसटी लागू करने की भी मांग की जा रही है। पिछले साल के आम बजट में वित्त मंत्री ने हेल्थ सेक्टर के लिए 90,958 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमानों के अनुसार, भारत में स्वास्थ्य सेवा पर होने वाला खर्च 2013-14 में 64.2 फीसदी से घटकर 2021-22 में 39.4 फीसदी हो गया है, लेकिन यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) की ओर यात्रा चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। इसी अवधि में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा व्यय जीडीपी के 1.13 फीसदी से बढ़कर 1.84 फीसदी हो गया है। हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि यह 2030 तक 3 फीसदी के लक्ष्य से बहुत दूर है।
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हेल्थ सेक्टर के लिए एक स्पष्ट रोडमैप की आवश्यकता है
फोर्टिस हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख और निदेशक डॉ. प्रवीण गुप्ता ने कहा, “हमें पब्लिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा खर्च बढ़ाने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप की उम्मीद है। रणनीतिक निवेश और सहायक नीतियों से ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटा जा सकता है और विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के हर कोने तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण जरूरी है।
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हेल्थ सेक्टर आगामी बजट में टैक्स सुधार की भी उम्मीद कर रहा है। इस सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी को शून्य करने या इसे 5 फीसदी वाले स्लैब में लाने की वकालत कर रहे हैं। इससे अस्पतालों और नर्सिंग होम की लागत में काफी कमी आ सकती है।
आकाश हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक डॉ. आशीष चौधरी ने कहा, “नई स्वास्थ्य सेवा परियोजनाओं के लिए आयकर अधिनियम की धारा 35AD के तहत 150 फीसदी कटौती को बहाल करना और नए प्रोजेक्ट के लिए न्यूनतम 15 साल के लिए टैक्स छूट देना, साथ ही मौजूदा सुविधाओं के लिए 10 साल की टैक्स राहत भी प्रमुख मांगें हैं।
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निजी क्षेत्र की बजट बढ़ाने की मांग
हेल्थ सेक्टर अस्पतालों को बुनियादी ढांचे के निवेश के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने की भी मांग कर रही है। इससे निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने में आसानी हो सकती है। यह अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के निर्माण के लिए जरूरी है। चिकित्सा उपकरणों के लिए ब्याज दर में छूट के साथ, ये सुधार भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए आवश्यक वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान कर सकते हैं।
पीएसआरआई अस्पताल में डीजीएम फाइनेंस अनूप मेहरा ने बताया, “अस्पतालों को बुनियादी ढांचे के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने से दीर्घकालिक निवेश के रास्ते खुल सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र को क्षमता का विस्तार करने और सेवा वितरण में सुधार करने में मदद मिलेगी।”
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