केंद्र सरकार ने पुराने टैक्स रिजीम को बढ़ावा न देने का अपना निर्णय स्पष्ट किया है, लेकिन करदाता और टैक्स विशेषज्ञ मानते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान को इस फैसले से अलग रखा जाना चाहिए. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए डिडक्शन की सीमा 2015 में 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये की गई थी, और अब इसे फिर से बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है.
Also read: Fresh wildfire erupts near Los Angeles, Forcing more than 50,000 residents to flee
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए यह सीमा 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये होनी चाहिए. इसके अलावा, पेरेंट्स द्वारा बच्चों के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर डिडक्शन को बढ़ाकर 75,000 रुपये करने की मांग की जा रही है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने का भी सुझाव दिया गया है.
“हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर डिडक्शन सीमा बढ़ाने की मांग”
Also read: जलगांव रेल हादसे की डराने वाली तस्वीरें, ट्रेन में फैली अफवाह ने निगल लीं 13 जानें
कितनी बढ़ाई जाए डिडक्शन की लिमिट?
इंडस्ट्री को उम्मीद है कि सरकार धारा 80सी और 80डी के तहत बीमा प्रीमियम के लिए कर प्रोत्साहन बढ़ाएगी, जिससे लोगों का इंश्योरेंस के प्रति आकर्षण और बढ़ेगा। साथ ही, होम और मोटर इंश्योरेंस के लिए भी अलग से टैक्स डिडक्शन प्रदान करने की उम्मीद जताई जा रही है.इन कदमों से इंश्योरेंस सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा और पूरे भारत में अधिक लोग बीमा के महत्व को समझेंगे और इसे अपनाएंगे.
Also read:नेताजी की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र को एकजुट होने का आह्वान
इन बदलावों से सरकार का उद्देश्य टैक्स छूट वाले पुराने रिजीम से बाहर निकालते हुए, बीमा प्रीमियम के भुगतान को बढ़ावा देना है, जिससे नागरिकों के बीच स्वास्थ्य सुरक्षा और बीमा का महत्व बढ़ सके.
More Stories
Empuraan Manufactured Outrage and Tragic Surrender
Is Uploading Photos for a Studio Ghibli Makeover on ChatGPT Safe?
घिबली और AI सोशल मीडिया ट्रेंड के कारण कॉपीराइट संकट