शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो रही है, जो नौ दिनों तक चलने वाला एक विशेष पर्व है। इस पर्व के दौरान भक्त मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं, और दूसरे दिन की आराधना मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित की गई है। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान, तप, और साधना का प्रतीक हैं। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति से किया गया उपासना व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से भक्तों को आंतरिक शक्ति, संयम, और सच्चाई की ओर प्रेरित किया जाता है। मान्यता है कि जो लोग मां की आराधना करते हैं, उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी मन की स्थिरता प्राप्त होती है, और उनके जीवन में वैराग्य की भावना का विकास होता है।
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शारदीय नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की आराधना के लिए
शारदीय नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की आराधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है, जिसमें दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व विशेष है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग उनकी आराधना करते हैं, उनमें वैराग्य, तप, संयम और सदाचार की वृद्धि होती है, और उनका मन कठिन परिस्थितियों में भी स्थिर रहता है। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों के दुर्गुणों और दोषों को दूर करती हैं। इस वर्ष उनकी पूजा का शुभ मुहूर्त 4 अक्टूबर को सुबह 6:12 से 7:12 के बीच है। इस दिन मां को फल, सूखे मेवे और खीर का भोग अर्पित किया जाता है। पूजा के दौरान कलश स्थापना, दीप जलाना, और मां के मंत्र का जाप करना आवश्यक है। इस नवरात्रि में सच्चे मन से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सकारात्मकता लाएं।
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