दीपावली की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। काशी और इंदौर के विद्वानों के मतों में अंतर होने से यह भ्रम और बढ़ गया है। काशी के विद्वानों के अनुसार, पूरे देश में 31 अक्तूबर को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा, जबकि इंदौर के विद्वानों ने 1 नवंबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया है।
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काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी के अनुसार, 31 अक्तूबर को शाम 3:52 बजे से अमावस्या शुरू होगी, जो 1 नवंबर को शाम 5:13 बजे तक रहेगी। उनका कहना है कि अमावस्या के समाप्त होते ही प्रतिपदा शुरू हो जाएगी, और प्रतिपदा में दीपावली पूजन का विधान नहीं होता। इसलिए, 31 अक्तूबर को रातभर अमावस्या के कारण दीपोत्सव और कालीपूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।
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तारीख पर काशी-इंदौर विद्वानों में असमंजस
वहीं, इंदौर के विद्वानों का मत इससे भिन्न है। इंदौर के संस्कृत महाविद्यालयों के विद्वानों ने 1 नवंबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश ज्योतिष और विद्वत परिषद ने इस संबंध में एक बैठक बुलाई, जिसमें विद्वानों ने कहा कि जब दो दिनों के बीच त्योहार की स्थिति उत्पन्न होती है, तो शास्त्रों के अनुसार दूसरा दिन ग्रहण करना चाहिए।
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उनका कहना है कि अमावस्या पितरों की तिथि होती है, और पितरों का पूजन करने के बाद शाम को लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है। हालांकि, लक्ष्मी पूजन के बाद पितरों का पूजन शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं माना गया है। इसी कारण, उन्होंने 1 नवंबर को दीपावली मनाने का फैसला किया है। इस प्रकार, दीपावली की तारीख को लेकर काशी और इंदौर के विद्वानों के भिन्न-भिन्न मत सामने आए हैं, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
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