केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पास करा लिया। इस दौरान सरकार को एनडीए के सभी घटक दलों का मजबूत समर्थन मिला, और विधेयक के पक्ष में 288 सांसदों ने वोट किया, जबकि इसके विपक्ष में 232 वोट पड़े। इसके साथ ही विधेयक का राज्यसभा में मार्ग प्रशस्त हो गया, जहां केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को इसे पेश किया। हालांकि, वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 की असली चुनौती राज्यसभा में होगी। दरअसल, राज्यसभा में एनडीए का बहुमत संवेदनशील स्थिति में है, और गठबंधन के किसी भी सांसद का असहमति में होना विधेयक को पास कराने में अड़चन डाल सकता है। लोकसभा में एनडीए का बहुमत था, लेकिन राज्यसभा में विधेयक को चुनौती मिल सकती है। राज्यसभा में कुल 245 सांसद हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान में 236 सांसद हैं, जबकि 9 सीटें खाली हैं। राज्यसभा में 12 नामित सांसद हो सकते हैं, जिनमें से अभी 6 हैं। इस हिसाब से वक्फ संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए 119 सांसदों का समर्थन जरूरी होगा।
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राज्यसभा में एनडीए और विपक्ष की स्थिति: समर्थन और विरोध की जटिल राजनीति
राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत है, क्योंकि भाजपा के पास 98 सांसद हैं और अन्य सहयोगी दलों से भी समर्थन मिल रहा है, जैसे जदयू, तेदेपा, राकांपा आदि। एनडीए का समर्थन करने वाले अन्य दलों में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा, पत्तली मक्कल काची, तमिल मनिला कांग्रेस, नेशनल पीपल्स पार्टी और कुछ निर्दलीय सांसद शामिल हैं। दूसरी तरफ, विपक्ष में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है, इसके बाद तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और द्रमुक प्रमुख दल हैं। विपक्षी दलों में बीजू जनता दल, वाईएसआरसीपी, और एआईएडीएमके भी शामिल हैं, लेकिन इनका समर्थन विधेयक के विरोध के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता। कुछ दल, जैसे भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), और मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
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सहयोगी दलों की शर्तें और भाजपा द्वारा किए गए बदलाव: वक्फ विधेयक में संशोधन
सहयोगी दलों, जैसे जदयू और टीडीपी ने विधेयक के समर्थन के लिए कुछ शर्तें रखी थीं। जदयू की मांग थी कि सरकार अधिनियम लागू होने से पहले मुस्लिम धार्मिक स्थलों में कोई बदलाव न करे, जबकि टीडीपी ने वक्फ संपत्ति विवादों की जांच के लिए राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को अंतिम अधिकार देने और वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण के लिए समय देने की मांग की थी। सरकार ने इन मांगों को स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही, भाजपा ने विधेयक में कुछ बदलाव किए, जैसे कि अब केवल पांच वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति को ही वक्फ संपत्ति दान करने की अनुमति होगी। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्य के रूप में गैर मुस्लिमों की गिनती को खत्म कर दिया गया, जिससे गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है।
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