October 5, 2024

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पुतिन

पुतिन ने पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति के रूप में बहुमत से की जीत हासिल

व्लादिमिर पुतिन ने लगातार पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति के पद पर स्थान बनाया है। 15 से 17 मार्च को हुई वोटिंग में पुतिन को 88% वोट प्राप्त हुए। उनके प्रतिद्वंद्वी निकोले खारितोनोव को 4% वोट मिले। व्लादिस्लाव दावानकोव और लियोनिद स्लटस्की तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।

पुतिन ने जीत के बाद बयान दिया कि अब रूस और भी अधिक ताकतवर और प्रभावशाली होगा। उन्होंने रूस-नाटो विवाद पर भी टिप्पणी की, कहा- अगर नाटो और रूस के बीच संघर्ष होता है तो यह दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध से एक कदम दूर ले जाएगा। मुझे लगता है कि कोई भी ऐसा नहीं चाहेगा।

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पुतिन: रूस के राष्ट्रपति बनने का सफर

पुतिन ने 2000 में रूस के राष्ट्रपति बनना शुरू किया और 2008 तक कार्यकाल सम्पन्न किया। 2012 में, तत्कालीन राष्ट्रपति मेदवेदेव ने उन्हें पुनः अपनी पार्टी के लिए राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव दिया। पुतिन ने 2012 के चुनावों में जीत हासिल की और फिर से सत्ता में आए। उसके बाद से अब तक वह राष्ट्रपति पद पर हैं।

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2036 तक पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने रह सकते हैं

रूसी संविधान के अनुसार, कोई व्यक्ति लगातार दो बार से अधिक राष्ट्रपति नहीं बन सकता। इसके फलस्वरूप, 2008 में पुतिन ने अपने पीएम दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति बनाया और खुद प्रधानमंत्री बने। 2012 में पुतिन फिर से राष्ट्रपति बने और उन्होंने राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया। 2014 में क्रीमिया पर हमला करके उन्होंने उस पर कब्जा किया। जनवरी 2020 में, पुतिन ने संविधान संशोधन के माध्यम से राष्ट्रपति के दो टर्मों की सीमा को खत्म किया। इससे पुतिन के राष्ट्रपति बनने का रास्ता 2036 तक साफ हो गया।

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रूस का पॉलिटिकल सिस्टम

रूस में संसद को फेडरल असेंबली कहा जाता है, जिसमें दो हिस्से होते हैं – काउंसिल ऑफ फेडरेशन (ऊपरी सदन) और स्टेट डुमा (निचला सदन)। यहाँ, राष्ट्रपति की पदाधिकारिता सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। भारत में प्रधानमंत्री का रोल जो होता है, वह रूस में राष्ट्रपति के पास होता है। यहाँ, प्रधानमंत्री द्वारा निर्देशित कार्यकलापों का पावर भी होता है, और तीसरे स्थान पर आता है फेडरल काउंसिल (ऊपरी सदन) के अध्यक्ष का।

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