उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए सभी दल पूरी तैयारी में हैं. पहले चरण में 8 सीटों पर मुकाबला होगा, जिसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरएलडी और भाजपा उम्मीदवारों को चढ़ावा दे रहे हैं. बीएसपी अकेले मैदान में उतरी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का महत्व चुनावी दंडबद्धता में बहुत उच्च है, इसलिए सभी दल इस क्षेत्र के उम्मीदवारों को ध्यान में रख रहे हैं. 2019 के चुनाव में, बीएसपी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन 8 सीटों में से 5 पर जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा को मजबूत प्रतिस्पर्धा मिली थी.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर मुकाबला
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर नामांकन 27 मार्च तक जारी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासी परिस्थिति में पहले चरण का महत्व बहुत अधिक है. पिछले दो लोकसभा चुनावों के परिणाम यह दिखाते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाली सियासी तेजी पूर्वांचल क्षेत्रों तक राजनीतिक लाभ पहुंचाती है. इसलिए, बीजेपी से लेकर बसपा और समाजवादी पार्टी तक सभी को पहले चरण की चुनावी जंग में जीत हासिल करने का प्रयास करना है. इसके लिए सभी ने सशक्त रूप से सियासी बिसात तैयार की है.
Also Read: टीचर की हत्या के आरोप में हेड कांस्टेबल की गिरफ्तारी: तंबाकू न पाने पर हुई गोलीबारी
पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं, जिनमें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, और पीलीभीत सीट शामिल हैं. इनमें से तीन सीटें रुहेलखंड क्षेत्र की हैं और पांच सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों की हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. बीजेपी को मात्र तीन सीटें मिली थीं, जबकि सपा-बसपा गठबंधन पांच सीटों पर विजयी रहा था. सपा ने दो सीटें और बसपा ने तीन सीटें जीती थीं. हालांकि, बाद में रामपुर सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी विजयी रही.
बीजेपी और आरएलडी एक साथ
2019 के चुनाव में हुए सियासी नुकसान की भरपाई के लिए इस बार बीजेपी ने आरएलडी को अपने साथ मिला लिया है। इस तरह पहले चरण के चुनाव में आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी की अग्निपरीक्षा होनी है, क्योंकि सीट बंटवारे में मिली उन्हें दो सीटों में से एक पर पहले चरण में चुनाव है. बीजेपी की कोशिश 2014 की तरह क्लीन स्वीप करने की है.
Also Read: ऋषभ पंत IPL में दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान होंगे
वहीं, सपा और बसपा इस बार अलग-अलग चुनावी मैदान में हैं. सपा ने कांग्रेस के साथ अपना गठबंधन कर रखा है तो बसपा अकेले चुनावी मैदान में उतरी है. ऐसे में सपा और बसपा दोनों के सामने 2019 में जीती हुई सीटों को बचाए रखना चैलेंज है.
More Stories
Flights and trains disrupted as dense smog blankets Delhi, reducing visibility
Amit Shah To Hold Another High-Level Meeting; BJP MLAs To Meet Manipur CM Amid Unrest
कर्नाटक: रिजॉर्ट के स्विमिंग पूल में डूब रही सहेली को बचाने कूदीं दो महिलाएं, तीनों की हुई मौत